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नेत्र सर्जन डॉक्टर सुरेश पांडेय का ए. पी.ए. ओ.- ए.आई.ओ.एस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतरराष्ट्रीय नेत्र महा अधिवेशन में विशेष व्याख्यान।

कोटा। एशिया पैसिफिक एकेडमी आॅफ आॅप्थेलमोलोजी एवं आॅल इण्डिया आॅफ्थेलमाॅलोजिकल सोसायटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित नेत्र महाधिवेशन यशोभूमि कनवेंशन सेन्टर, नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। इस नेत्र महाधिवेशन कार्यक्रम में देश-विदेश के 12 हजार से अधिक नेत्र विशेषज्ञों ने भाग लिया। आॅल इण्डिया आॅफ्थेलमाॅलोजिकल सोसायटी के इस नेत्र महाधिवेशन में सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने भाग लिया। डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने प्रोफेसर चार्ल्स मेकगी एवं प्रोफेसर फ्रेंक मार्टिन को अपनी पुस्तक एन आई फाॅर द स्काई भेंट की जिसकी उन्होंने प्रशंसा की। डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने पके हुए मोतियाबिन्द एवं दो वर्ष से कम उम्र वाले छोटे बच्चों में जेप्टो प्रीसिजन नेनोपल्स नामक अत्याधुनिक तकनीक द्वारा मोतियाबिन्द आॅपरेशन एवं लेंस प्रत्यारोपण नामक विषय पर विडियो के माध्यम से अपने 10 वर्ष के अनुभवों को सांझा किया। डाॅ. पाण्डेय ने छोटी पुतली वाले रोगियों में जटिल मोतियाबिन्द आॅपरेशन की विधि को विडियो के माध्यम से दर्शाया। उन्होनें बताया कि प्रोस्टेट ग्रन्थि की वृद्धि से पीड़ित टेमसुलोसिन नामक दवा का सेवन कर रहे रोगियों को मोतियाबिन्द आॅपरेशन के दौरान पुतली छोटी हो जाने के कारण काॅम्पलीकेशन होने की सम्भावनाऐं बढ़़ जाती है, जिसे फ्लोपी आइरिस सिंन्ड्रोम कहा जाता है। अतएव यदि आप प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढने से पेशाब में रूकावट दूर करने के लिए टेमसुलोसिन नामक दवा खा रहे हो तो इसकी जानकारी मोतियाबिन्द आॅपरेशन कराने से पहले नेत्र चिकित्सक को अवश्य दें। जिससे मोतियाबिन्द आॅपरेशन के दौरान आयी पुतली छोटी होने के कारण उत्पन्न जटिलताओं को दूर किया जा सके। वर्तमान में आजकल मेल्यूगिन रिंग, आईरिस हुक्स के माध्यम से छोटी पुतली को फैलाया जा सकता है। डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने महाधिवेशन में देश-विदेश से पधारें नेत्र विशेषज्ञों के सम्मुख मुख्य वक्ता के रूप में श्फेकोइमलसिफिकेशन इन डिफिकल्ट एवं चैलेंजिंग कैसेजश् नामक विषय पर आयोजित इंस्ट्रक्शन कोर्स में अपना व्याख्यान वीडियो प्रेजेन्टेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस कोर्स में डाॅ. जगतराम, डाॅ. नम्रता शर्मा, डाॅ. वीरेन्द्र अग्रवाल, डाॅ. पार्थ विश्वास, डाॅ. हर्षुल टाॅक, डाॅ. सौरभ भार्गव आदि विशेषज्ञों ने भी अनुभव साझा किये। डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान विशेषज्ञों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का भी उत्तर दिया।

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