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यदुवंशी द्वारा हिन्दू धर्म का किया गया अपमान।

एक यूपी यदुवंशी द्वारा हिन्दू धर्म के अपमान के फलस्वरूप कड़कते तेल की कड़ाही में न फ्राई किया न जिह्वा काटा।ये मनुस्मृति दंड संहिता का अपमान नहीं तो और क्या है। दंड परिवर्तन कर चोटी काटा, ब्राह्मणी पेशाब से शुद्धिकरण एवं शाष्ट्रांग पैर पर दंडवत कराकर
शांत हुआ । यही गलती भागवत कथा वाचनकर मनुस्मृति धर्म-कर्म का अपमान कुश वंशी देविका पटेल एवं यामिनी साह ने किया ।उन्हें भी अपमानित होना पड़ा। शम्भूक को इस गलती के कारण राम भगवान जान से मार ही दिए। जब स्वतंत्रत भारत में प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति एवं मुख्य मंत्री माझी को भी अपमानित होना पड़ा। संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी अपमानित होकर इस धर्म को लात मारकर बौद्ध धम्म अपनाएं। फिर शुद्र क्यों नहीं दोषी है जो धर्मो का अपमान करती है। संविधान सभा से विलग रखने के लिए पटेल जी ने कहा था अम्बेडकर तुम्हारे लिए खिड़की दरवाजे ही नहीं रौशनीदानी भी संविधान सभा में आने के लिए बंद कर दिया हूं । शुद्र सभी नेता वर्ण-व्यवस्था के कट्टर समर्थक थे। जिस विद्वान से संविधान लिखाने के लिए नेता अमेरिका गए थे। वही विद्वान ने कहा आपके देश में ही एक अम्बेडकर विश्व विख्यात विद्वान है, उससे संविधान अच्छा कोई लिख ही नहीं सकता। इसके बाद पूना से एक सदस्य को त्याग पत्र दिलाकर निर्विरोध बाबा साहेब को निर्वाचित कर संविधान सभा में भेजे। संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष बनाया गया।हर बाधा की सामना करते हूए सभी जाति धर्म को समानता का अधिकार दिए। मनुस्मृति का शासन समाप्त और संविधान का शासन 1950 से लागू हुआ। लेकिन गलत लोगों के हाथ संविधान जाने के कारण हिन्दू कोड बिल लागू नहीं हुआ। दुखी होकर बाबा साहेब कानून मंत्री से त्याग पत्र दे दिये। बाबा साहेब ने कहा था, मुझे नहीं पता इस संसद मंदिर में भगवान के जगह पर राक्षस बैठेगा।।
मेरा बस चले तो मैं संविधान को जला दूंगा।
बाबा साहेब ने किसी को जवाब दिए थे संविधान तो मैं अच्छा लिखा, लेकिन गलत हाथों में जाने के कारण गलत,और सही लोग के हाथ में जाने से सही साबित होगा। इसलिए जाति पाति से उपर उठकर सही लोग का चयन करना चाहिए। माझी, अशोक चौधरी,जनक राम ,चिराग ,नीतीश, लालू संविधान को नहीं सुरक्षित कर पाए तो कौन करेगा। सभी परिवार वाद भाई भतीजावाद में उलझे हैं। जनता केलिए कौन सोचेगा। बिहार से चीनी मिल,कागज मिल प्रमोशन में आरक्षण,नो वर्क नो पे, शिक्षा का बदतर हाल किसने किया। 76वर्षो बाद भी गरीबी अशिक्षा सुरषा भांति मुंह फैलाए हुए हैं। दिन रात संविधान विरोधी, झंडा विरोधी बोलने वाले को आजादी मिली है। सरकार हाथ पर हाथ डालकर बैठी है। इस समस्या समाधान के लिए सभी को सोचने की जरुरत है। बौद्ध गया के अतिक्रमण की बात किसी से छिपी नहीं है। ऐसा लगता है संविधान का राज नहीं मनुस्मृति राज आ रहा है। जज की वाणी भी सूने होंगे। बाबा साहेब ने कहा था, संविधान को हर हाल में बचा कर रखना, संविधान हो तो तुम मूलनिवासी बहुजन जिंदा हो, जिस रोज संविधान मर जायेगा,उस रोज़ तुम लोग भी जिंदा नहीं रहोगे।
जागेश्वर मोची मधुबनी संवाददाता।

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