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मणिपुर की वो "रानी" महान स्वतंत्रता सेनानी

वो पहाड़ों की लड़की जिसे नेहरू ने "रानी" कहा ...

#तमेंगलोंग की ऊँची पहाड़ियों के बीच बसा था एक छोटा-सा गाँव—#लोंगकाओ।
वहाँ की सुबहें धुंध में लिपटी होतीं, और रातें जुगनुओं की रोशनी में चमकतीं।
गाँव के बुज़ुर्ग अक्सर आग के चारों ओर बैठकर बच्चों को किस्से सुनाते थे—
देवताओं, योद्धाओं, और वीरांगनाओं के किस्से।

एक रात, जब बाँस के चूल्हे पर भाप उड़ाता चाय का बर्तन चढ़ा था, दादी ने कहा—
"बच्चो, आज मैं तुम्हें हमारी अपनी रानी की कहानी सुनाऊँगी… रानी गाइदिन्ल्यू की।"
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बहुत साल पहले, 1915 की एक ठंडी सुबह, इस गाँव में एक बच्ची ने जन्म लिया—गाइदिन्ल्यू।
बचपन में वह जंगलों में फूल तोड़ती, नदी में मछलियाँ पकड़ती, और पहाड़ की चोटियों पर दौड़ लगाती।
पर उसके भीतर एक अलग ही चमक थी—जैसे उसे बड़े कामों के लिए भेजा गया हो।

जब वह 13 बरस की हुई, तो गाँव में एक नई लहर उठी—"#हीरका आंदोलन"।
इसे उसके चचेरे भाई #जादोनांग चला रहे थे।
वे कहते—
"हम अपने पुरखों की संस्कृति को बचाएँगे, अंग्रेज़ों के सामने नहीं झुकेंगे!"
गाइदिन्ल्यू ने यह सुना और बोली—
"अगर लड़ना है, तो मैं भी साथ हूँ।"

वह जादोनांग की सबसे भरोसेमंद साथी बन गई।
गाँव-गाँव घूमकर संदेश देती—
"टैक्स मत दो, अपनी ज़मीन बचाओ, अपने देवताओं को मत छोड़ो!"

लेकिन एक दिन, अंग्रेज़ों ने जादोनांग को पकड़ लिया।
गाँव के बीच चौराहे पर खड़े होकर उन्होंने फाँसी दे दी।
पूरा गाँव रोया, लेकिन गाइदिन्ल्यू ने आँसू पोंछते हुए कहा—
"भाई तो चला गया, अब यह लड़ाई मैं लड़ूँगी।"

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उसने पहाड़ों के नौजवानों को एकजुट किया।
जंगलों में छिपकर योजनाएँ बनीं,
रात में ढोल बजाकर संदेश भेजे जाते—
"अंग्रेज़ आ रहे हैं, तैयार हो जाओ!"

अंग्रेज़ परेशान हो गए।
और फिर 1932 में, 16 साल की उस लड़की को उन्होंने पकड़ लिया।
जेल में डाल दिया—उम्रकैद की सज़ा।

1937 में, शिलांग की जेल में उनसे मिलने एक लंबा-सा, सफेद कपड़े पहने आदमी आया।
वह थे #पंडित_नेहरू।
उन्होंने गाइदिन्ल्यू से कहा—
"तुम तो सच्ची रानी हो, पहाड़ों की रानी।"
तब से सब उसे #रानी_गाइदिन्ल्यू कहने लगे।

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आज़ादी के बाद 17 सालों के कारावास के रानी अपने गाँव लौटीं।
उन्होंने फिर अपने लोगों को संगठित किया,
अपनी बोली, अपने त्योहार, अपने देवता—सब बचाए।

17 फरवरी 1993 को, पहाड़ों की यह बेटी वो आजादी की "रानी" दुनिया को छोड़ गई,
लेकिन आज भी जब पहाड़ों में हवा बहती है,
गाँव के बच्चे कहते हैं—
"देखो, रानी गाइदिन्ल्यू हमारे बीच घूम रही हैं… हमें हिम्मत दे रही हैं।"

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
🇮🇳
Narender Mor

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