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आचार्य प्रज्ञा सागर जी ने दिया नई पीढ़ी को देश प्रेम जगाने का मंत्र, प्रज्ञालोक में आजादी के रंग पाठशाला में एक अतिरिक्त कालांश देशभक्ति का पढ़ाया जाए- प्रज्ञा सागर जी महाराज

कोटा। गुरु आस्था परिवार, कोटा के तत्वावधान में तथा सकल दिगंबर जैन समाज, कोटा के आमंत्रण पर तपोभूमि प्रणेता, पर्यावरण संरक्षक एवं सुविख्यात जैनाचार्य 108 श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज का 37वां चातुर्मास महावीर नगर प्रथम स्थित प्रज्ञालोक में श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक गरिमा के साथ सम्पन्न हो चल रहा है।
देश की बढ़ती पश्चिमीकरण की प्रवृत्ति और युवाओं में घटती राष्ट्रीय भावना को लेकर चिंतित धर्मगुरु आचार्य प्रज्ञासागर जी महाराज ने शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की मांग करते हुए राष्ट्रधर्म की शिक्षा को अनिवार्य बनाने की बात अपने प्रवचन में कहते हुए कहा कि प्रतिदिन आठ पीरियड में से प्रत्येक पीरियड में पांच मिनट कम करके एक कालंश राष्ट्रीय भावना का बनाकर देशभक्ति पाठ पढ़ाया जाना चाहिए।
आचार्य श्री ने कहा कि चाहे कोई भी जाति, धर्म या समुदाय का हो, राष्ट्रधर्म सबसे ऊपर होना चाहिए। उनके अनुसार केवल तभी सच्चे देशभक्त नागरिकों का निर्माण हो सकेगा जब हम अपनी भावी पीढ़ी में राष्ट्रीय चेतना का संचार करेंगे।
इस अवसर पर गुरुआस्था परिवार के सदस्यों लोकेश जैन सीसवाली, नवीन जैन दौराया, विनय शाह, अर्पित सराफ आदि ने देश की सिपाहियों की वर्दी पहनकर देशभक्ति का मंचन प्रस्तुत किया। इस मंचन के दौरान उन्होंने देशप्रेम के साथ-साथ मुनि रक्षा का प्रण भी लिया, जिससे उपस्थित श्रोताओं में गहरा प्रभाव पड़ा। चेयरमैन यतिश जैन खेड़ावाला ने बताया कि अध्यक्ष लोकेश जैन के जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें 21 किलो की माला पहनाकर गुरुआस्था परिवार एवं प्रज्ञालोक में पधारे विभिन्न देशों के विद्वानों ने स्वागत किया था।
धर्मगुरु ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समय रहते शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ी अपनी जड़ों से कटती चली जाएगी। उन्होंने सभी अभिभावकों, शिक्षकों और नीति निर्माताओं से अपील की कि वे राष्ट्रधर्म को शिक्षा का अनिवार्य अंग बनाने में अपना योगदान दें। प्रवचन के अंत में उन्होंने संकल्प लिया कि वे इस दिशा में निरंतर कार्य करते रहेंगे और समाज के सभी वर्गों तक यह संदेश पहुंचाएंगे। नवीन जैन दौराया ने बताया कि एक दिन चातुर्मास पुण्यार्जक परिवार प्रकाशचन्द -दीपक,नरेश बाकलीवाल,छोटा गिरनार, परिवार,वीरसेन ,अजय ,अर्चना, अर्चित,कथित जैन परिवार, उज्जैन,श्रावक श्रेष्ठी परिवार कैलाश चंद जी-सीता देवी सजंय अजय ,मोहित रोहित ,अनीश जैन,पिड़ावा वाला परिवार, रामपुरा,कोटा, हेमंत जी बड़जात्या परिवार, इंदौर,अजित -साधना ,जैन परिवार,गुडगांव,दिल्ली रहे।

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