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हिंदू वाहिनी कार्यालय जाटोली में जन्माष्टमी पर पहुंचे जगतगुरु स्वामी संदीपपानी ने दिया संदेश. हिंदू धर्म की आस्था वर्षों पुरानी



महामंडलेश्वर से जगदगुरु की उपाधि प्राप्त कर पहली बार गांव जाटोली मे पावन पर्व जन्माष्टमी पर हिन्दू वाहिनी कार्यालय जाटोली मंडी पहुंच कर पूजनीय स्वामी संदीपानी (श्री जगद गुरु रामानुजाचार्य पद प्रतिष्ठित अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी आणि अखाडा )ने सभी भक्तो को अपनी मधुर वाणी से व धार्मिक विचारों से लीन कर हिन्दू धर्म की गाथा की।उन्होंने श्रधालुओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि “साधना प्राप्ति का मार्ग नहीं, त्याग का पथ है —अहम का त्याग, वासना का त्याग, क्रोध का त्याग, और भोग का त्याग।”जब साधक इन बंधनों से मुक्त हो जाता है, तब उसका अंतर्मन ईश्वर के प्रकाश से आलोकित हो उठता है।त्याग ही वह सेतु है, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।त्याग में ही वास्तविक प्राप्ति हैँ।उन्होंने बताया कि ये सब आप लोगो का प्रेम हैँ जो मुझे इस प्रकार का कर्तव्य करने का अवसर प्रदान हुआ।उन्होंने आगे बताया कि हम केवल गांधी और बुद्ध की करुणामयी धरती से नहीं,
हम उस ब्रह्मभूमि से भी उत्पन्न हुए हैं जहाँ श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए गीतोपदेश दिया था।जब अधर्म अपने चरम पर पहुँचता है,तो शांति की स्थापना हेतु युद्ध भी परम धर्म बन जाता है जैसे कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सिखाया था।कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दू वाहिनी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मास्टर सुरेन्द्र चौहान ने की। सहयोगी प्रदेश महासचिव कर्ण सिंह और कार्यक्रम मे समस्त हिन्दू वाहिनी सदस्य, पदाधिकारी सहित पूर्व प्रधान जगदीश सिंह, नगर परिषद पटोदी जाटोली मंडी पार्षद कृष्ण कुमार, पार्षद हरी सिँह, सतपाल चौहान, राज सिंह, पूर्व कप्तान जनक चौहान, राकेश शर्मा टिल्ली,विक्रम सिंह पिंटू,राजू खान, कर्मवीर,सुनील यादव, सुनील परमार, छात्रा विकील आदि मौजूद रहे।

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