logo

इंसानियत बिन इंसान पूरा हैवान

हर धर्म में है एकता, हर धर्म में सदभाव है।
किस राह में भटके फिरे ,
अब मानवता की बात है।

इंसान अब इंसान नहीं,
बेजुबान की हत्या का ज़िम्मेदार है
ना रखता डर किसी पाप का
ये प्रकृति के आक्रोश का हिस्सेदार है।

वो बेज़ुबान, इंसान समझ के तुझे,
मौत को गले लगा गया।
थोड़ी सी रहम न थी तुझमें,
अनानास पटाखा बनाकर उस बेसहारा को खिला गया।

हैवानियत बढ़ चुकी है आगे
कौन किसे कब यहां रोकता है।
इंसान के पाप की गठरी,
ऊपर वाला इसी धरती पर तौलता है।
                              -आकांक्षा गुप्ता, आगरा।


247
33039 views