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दवा व्यवसायी की मौत से आक्रोश, इलाज में लापरवाही का आरोप, मजिस्ट्रेट का ज्ञापन

एटा। अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद ने दवा व्यवसायी संजीव वार्ष्णेय ‘मोनी’ की मौत के लिए जिला अस्पताल के डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया है। परिषद ने जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देकर आरोप लगाया है कि ’कोरोना सदिंग्ध मानकर आइसोलेशन वार्ड में एडमिट संजीव वार्ष्णेय ‘मोनी’ के उपचार मं लापरवाही बरती गयी। ज्ञापन में  इस मामले की जांच कराने की मांग की गयी है।

                ’अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद ने जिला मजिस्ट्रेट को दिये ज्ञापन में कहा है कि,  ‘जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में एडमिट लगभग 45 वर्षीय संजीव वार्ष्णेय उर्फ मोनी निवासी पटियाली गेट की 15 जून की रात में ही हालत बिगड़ने लगी थी जोंकि 16 जून को सुबह लगभग 10 बजे और ज्यादा बिगड़ती चली गयी।

             इसकी जानकारी समस्त स्वास्थ्य कर्मचारियों व जिला अस्पताल में मौजूद सभी वरिष्ठ चिकित्सकों को होने के बावजूद कोई ढंग का उपचार नहीं किया गया व पूरी तरह लापरवाही बरती गयी। इसके चलते संजीव वार्ष्णेय उर्फ मोनी की मृत्यु हो गयी। उनकी मृत्यु के कारण वैश्य समाज में बहुत आक्रोश हैऔर सभी व्यापार संगठनों ने मजिस्ट्रेट से मांग की है। कि मामले की जांच करायी जाये और आगे से किसी भी मरीज के साथ इस तरह की लापरवाही न हो।

मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देते समय अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र गुप्त, वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक वार्ष्णेय एवं जिला महामंत्री राजेश गुप्त व अन्य व्यापारी उपस्थित थे।

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