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आखिर कब तक जुल्म सहते रहेंगे बेगुनाह लड़के, जब लड़का लड़की मे फर्क नही तो लड़की को इतनी छुट क्यों। इस लेख से किसी को

आखिर कब तक जुल्म सहते रहेंगे बेगुनाह लड़के, जब लड़का लड़की मे फर्क नही तो लड़की को इतनी छुट क्यों।

इस लेख से किसी को आहट पहुँचने का मकसद नही है। बस भेदभाव को लेकर यह लेख लिखा गया है । हमारे समाज में आज के समय मे जहाँ सरकार गैर समुदाय गैर समाज में विवाह करने पर विवाहित जोड़े को अंतरजातिये आर्थिक विवाह स्कीम जैसे कर्यकरम चलाती है। तो दूसरी तरफ समाज में भिन्नता फैलती जा रही है।
कहाँ गया बो हिंदुस्तान का आपसी भाईचारा
एक समय पहले हिंदुस्तान में आपसी भाई चारे की मिसाल दी जाती थी, अब यह कहीं खो सी गई है, कट्टरपंथी समाज में एक समुदाय दूसरे समुदाय के व्यक्ति को छोटी बात पर झूठे आरोप लगा भाई चारे की मिसाल का खात्मा कर रहे हैं।

मानवता के नाम पर जहर उगल रहा मानव समाज* अगर बहुसंख्यक समाज का लड़का किसी अल्पसंख्यक समाज की लड़की से विवाह करता है तो बहुसंख्यक समाज खुश होता है अगर अल्पसंख्यक समाज का लड़का किसी बहुसंख्यक समाज की लड़की से प्रेम विवाह करता है तब बहुसंख्यक समाज दोनों को अलग कर देता है। लड़के पर झूठे आरोप लगा कर धर्मांतरण वा बलत्कार जैसे आदि मुकदमे में झूठा फसा देता है। मामला कोर्ट में विचार्धीन होता है लेकिन लड़के के सम्मान को आहट पहुँचती है।

प्रेमी युगल ने आपस मे आपसी सहमति से ही प्रेम किया फिर सज़ा एक तरफा लड़के को ही क्यो मिलती है।
लड़कियाँ भी लड़को को अपने प्रेम जाल में फसा कर लड़के से ठगी करती हैं।

लड़की का सम्मान सम्मान है। फिर लड़के का सम्मान, ईमान बाजार में नीलाम क्यों होता है
लड़की का सम्मान और लड़की पर भरोसा कर समाज एक तरफ क्यों हो जाता है। लड़के का मान सम्मान ईमान बाजार में नीलाम क्यों कर देता है यह समाज।

आखिर कबतक चलेगा हिंदुस्तान मे यह भेदभाव
आजादी के 70 साल बाद भी हमारे देश में जाति और छुआछूत की भावना कितनी गहरी है, इस का अंदाजा हाल ही में घटी पुणे की एक घटना से लगा सकते हैं, जहां एक महिला वैज्ञानिक ने अपने घर में खाना बनाने वाली महिला पर जाति छिपा कर काम लेने और धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

पुणे के शिवाजी नगर में रहने वाली डा. मेधा विनायक खोले का आरोप था कि खाना बनाने वाली महिला निर्मला 1 साल से खुद को ब्राह्मण और सुहागिन बता कर काम कर रही थी जो कि झूठ था.

इस से उन के पितरों और देवताओं का अपमान हुआ. वैसे तो इस देश में जाति के आधार पर अन्याय और शोषण की घटनाएं आम बात हैं, लेकिन यह मामला हमारी उस गलतफहमी को दूर करता है जहां हम सोच रहे थे कि केवल अशिक्षित और मानसिक रूप से पिछड़े लोग ही इन धार्मिक और सामाजिक कुप्रथाओं का पालन कर रहे हैं, जबकि पुणे जैसे विकासशील शहरों में कुछ शिक्षित और संपन्न लोग उन से भी 2 कदम आगे है

अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने 2004 के बाद पहली बार भारत को "विशेष चिंता का देश" के रूप में सूचीबद्ध किया।
यह निर्णय भारत में बढ़ी हुई धार्मिक शत्रुता और सांप्रदायिक संघर्ष को दर्शाता जिसे धर्मसंपरिवर्तं विधि अधिनियम (अलग अलग राज्य सरकारों) द्वारा और अधिक भड़काया गया है धार्मिक पहचान के उपयोग ने भारत और विदेशों दोनों में व्यापक विरोध और विरोध को जन्म दिया है। लेकिन विवादास्पद होते हुए भी यह एक पृथक नीति से दूर है। यह भारत के भीतर , पूरे दक्षिण एशिया और दुनिया भर में धार्मिक भेदभाव और हिंसा में लगातार वृद्धि से जुड़ता है - नीति निर्माताओं और कार्यकर्ताओं के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है।


धार्मिक भेदभाव में यह वृद्धि न केवल इसके पैमाने में बल्कि इसके परिणामों में भी उल्लेखनीय है। कई सेटिंग्स में, धर्म के सरकारी विनियमन में वृद्धि से पहले राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष में वृद्धि हुई। अब, दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक में धर्मांतरण कानून के कारण धार्मिक हिंसा फैल रही है, शांति कायम करने वालों के लिए विकास, लोकतंत्रीकरण और शांति निर्माण के लिए व्यापक रणनीतियों में धार्मिक स्वतंत्रता को एकीकृत करने के नए तरीके विकसित करना महत्वपूर्ण है।

धार्मिक स्वतंत्रता और राजनीतिक और आर्थिक विकास के बीच संबंधों का विश्लेषण" नामक एक परियोजना की स्थापना की है। यूएसएड के सेंटर फॉर फेथ एंड ऑपर्च्युनिटी इनिशिएटिव्स के साथ साझेदारी में , अध्ययन धर्मांतरण कानून और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अन्य दबाव वाले मुद्दों की जांच होनी चाहिए।

भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लंबे समय से अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए हिंदू राष्ट्रवाद का सहारा लिया है। धर्मांतरण के आलोचकों का दावा है कि राज्य धर्मांतरण कानून भाजपा के हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे का एक और हिस्सा है और यह भारत की धर्मनिरपेक्ष नींव को कमजोर करेगा और देश की बड़ी अल्पसंख्यक आबादी के साथ-साथ अन्य धार्मिक धार्मिक समाज को हाशिए पर डाल देगा ।

हालांकि, धर्मांतरण कानून लागू करने वाले राज्य सरकारों का कहना है कि धर्मांतरण लाखों अवैध धर्मपरिवर्तन को कट्टरपंथी को खत्म करना इस कानून का मकसद है,
राज्य सरकार के स्पष्टीकरण के बावजूद , धर्मांतरण ने भावुक असंतोष को जन्म दिया है, क्योंकि देश भर में हजारों भारतीय नागरिक विरोध में सड़कों पर उतर आए । नई दिल्ली में, इन प्रदर्शनों ने दशकों में शहर के कुछ सबसे खराब रक्तपात का नेतृत्व किया जब गृह मंत्रालय और सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी द्वारा प्रोत्साहित और उकसाए गए हिंदू गिरोहों ने अल्पसंख्यक को निशाना बनाया और सभी धर्मों के विरोधी धर्मांतरण कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों पर टूट पड़े।

आपसी भाईचारा:- अगर अकबर ने जोधा बाई से शादी की तो, राजा अमर सिंह ने जब अकबर की बेटी का हाथ मांगा तो अकबर ने भी अपनी बेटी शहजादी खानुम की शादी महाराजा अमर सिंह करा दी।
ऐसे कई उधारण हैं
सर्व समाज का साथ और सामाजिक शांति का अब्वाहान फिर करना होगा।
हिंदुस्तान समाज की मरी हुई मानवता को फिर जिंदा करना होगा

आपसी भाईचारे को बढाना होगा। हिंदू, मुस्लिम सिख ईसाई आपस में भाई भाई।

संवाददाता आशीष की रिपोर्ट

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