श्रीमद भगवत गीता के अनुसार ना तो मुझे विजय की आकांक्षा है ना राज्य और सुख की फिर राज्य के प्राप्त करने से क्या? फिर भोगो
श्रीमद भगवत गीता के अनुसार ना तो मुझे विजय की आकांक्षा है ना राज्य और सुख की फिर राज्य के प्राप्त करने से क्या? फिर भोगों प्राप्त कर के जीवित रहने से क्या?