
कोरोना कॉल में सारंगपुर बीएमओ का तबादला, सिविल हाॅस्पिटल में और कम हुई डॉक्टरों की संख्या
सारंगपुर(राजगढ़)। कोरोना कॉल चल रहा है। ऐसे में सिविल हाॅस्पिटल, सारंगपुर में पहले से ही कम डॉक्टरों की संख्या से परेशान क्षेत्र की हजारों की आबादी को एक और झटका मप्र स्वास्थ्य संचालनालय अपर संचालक ने वर्तमान में बीएमओ के पद पर पदस्थ हृदयरोग तथा डायबिटीज उपचार का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त डॉक्टर जलालउद्दीन शेख का स्थानांतरण कर दे दिया।
इनके स्थानांतरण होने से अब सारंगपुर सिविल हाॅस्पिटल में छह से घटकर पांच डॉक्टर ही बचेंगे। इस कारण लोगों को शासकीय सिविल हाॅस्पिटल में उपचार के लिए और अधिक परेशानियां झेलनी पड़ेगी।
लोगों का कहना है कि,‘ सरकार अस्पताल में रिक्त पड़े डॉक्टरो के पदों को भरने की बजाय पहले से मौजूद डॉक्टरों को भी स्थानांतरित कर सिविल अस्पताल बेगमगंज, जिला रायसेन भेज रही है, जो कि क्षेत्रवासियों के स्वास्थ्य के साथ नुकसानदायक है।’
गौरतलब है कि डॉ. शेख कोरोना कॉल में बीते पांच माह से सतत् जुटकर अपनी टीम को मुस्तैद कर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देने की व्यवस्था में लगे हुए थे। यही वजह है कि विकासखंड में कोरोना कंट्रोल में है और अब तक सिर्फ 1700 लोगों के सैंपलिंग में मात्र 69 मरीज ही कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। गंभीर बीमारी से ग्रस्त केवल दो कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई है ।
अस्पताल में 25 डॉक्टर के पद, अब रहेगी सिर्फ पांच डॉक्टर
हजारों लोगो को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए बने सारंगपुर सिविल हाॅस्पिटल बीएमओ डॉ शेख के स्थानांतरण के पहले तक छह चिकित्सक थे, जिसमें से सिर्फ दो चिकित्सक ही इमरजेंसी ड्यूटी कर पाते थे, लेकिन अब उनमें से भी एक डॉक्टर का स्थानांतरण होने से संख्या केवल पांच रह जाएगी।
स्थानांतरण होने से बीएमओ डॉ. शेख जलालुद्दीन खान के रिलीव होने पर अब केवल डॉ. मनीष चौहान, डॉ. एसके खरे, डॉ. मीना खरे, डॉ.अंकित पोरवाल तथा डॉ.एसके जैन शेष रहेंगे।
हाॅस्पिटल में डॉक्टरों की कमी के दौरान बीएमओ डॉ. शेख के तबादले पर सरकार को घेरते हुए सारंगपुर विस पूर्व कांग्रेस विधायक कृष्णमोहन मालवीय ने कहा कि, ‘सरकार कोरोना कॉल में भी लोगों के स्वास्थ्य की चिंता नहीं कर रही है। सिर्फ तबादला उद्योग चला रही है।’
श्री मालवीय ने कहा कि, ‘कोरोना कॉल में सरकार को सिविल हाॅस्पिटल में डॉक्टरो के रिक्त पदों पर पूर्ति करनी चाहिए थी, लेकिन भाजपा सरकार ने बेहतरीन डॉक्टर का स्थानांतरण कर डॉक्टर की संख्या को और कम कर दिया।’ श्री मालवीय ने कहा कि बीएमओं डॉ शेख का तबादला करना पूरी तरह से अनुचित है, इसे सरकार को रोकना चाहिए। यह कोरोना पर लगाम लगाने के लिए सबसे जरूरी है।’
इधर, स्थानीय नागरिक एवं समाजसेवी एडवोकेट रमेशचंद्र वर्मा, एनके सोनी, एलएन त्रिकार सहित अन्य नागरिकों ने भी सरकार से मांग कि है कि स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए चिकित्सकों की नियुक्ति करे और सारंगपुर अस्पताल से स्थानांतरित किए गए डॉक्टर शेख के स्थानांतरण पर रोक लगाए।
महिला एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ व सोनोग्राफी मशीन की बेहद जरूरत
सारंगपुर सिविल हाॅस्पिटल में नियमानुसार 25 डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन अब पांच बचेंगे। महिला रोग विशेषज्ञ और हड्डी रोग विशेषज्ञ तक हाॅस्पिटल में नहीं है।
इसके अलावा सिविल हाॅस्पिटल में सोनोग्राफी मशीन की भी अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि गरीबो को सोनोग्राफी निजी हाॅस्पिटल्स में कराने में आर्थिक संकट झेलना पड़ता है। पूर्व में पदस्थ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता यादव के इस्तीफा दे देने के बाद उनके नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण नगर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को प्रसूति कराने के लिए भी इंदौर, उज्जैन और भोपाल की तरफ जाना पड़ता है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
मार्च से लेकर अगस्त तक लगातार पांच माह से डॉ. शेख 18-18 घंटे ड्यूटी दे कर काम करते हुए घर से दूर रहकर अपनी कर्मभूमि में लोगों काे स्वास्थ्य सेवा देते रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम को एकजुट रखकर अपनी बेहतर कार्यकुशलता से अपनी जान की परवाह किए बगैर हर मोर्चे पर पहली पंक्ति में खड़े नजर आते हैं। कोरोना काल में उन्होंने क्षेत्र की जनता को कोरोना से बचाने के उपाय समझाते हुए कोरोना के सेंपल लिये जाने का अनुरोध किया और अपनी समझाईश से सारंगपुर तथा पचोर तहसील में अधिकतम कोरोना सैंपल लिये। संक्रमित लोगों को समय पर पहचान कर आईसोलेट कराया तथा स्वस्थ होने में मदद की।
राजगढ़ उप स्वास्थ्य केंद्र संगवता के सीएमएचओ डाॅ. डॉ एस यदु का कहना है कि, ‘सारंगपुर हाॅस्पिटल में डॉक्टरो की कमी से परेशानी तो आती है। हम डॉक्टरों की पूर्ति के लिए हर माह शासन को पत्र लिखते हैं। सारंगपुर बीएमओ डॉ. जलालउद्दीन शेख का स्थानांतरण रायसेन जिले में हुआ है। वह अभी रिलीव नहीं हुए हैं, छुट्टी पर गए हैं। रिलीव होने पर ही दूसरे डॉक्टर को बीएमओ की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।’