
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
जन सामान्य में श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनके द्वारा स्थापित किए गए आदर्श आज भी जीवंत है।आज हमारे समाज में चारों तरफ धन-लोलुपता ,स्वार्थपरता ,भौतिकता नैतिक पतन चारित्रिक पतन होता जा रहा है ।हर तरफ अशांति का माहौल है ऐसे समय में भगवान श्री राम द्वारा बताए गए उच्च आदर्श हम सभी के लिए अनुकरणीय होने चाहिए। भगवान श्री राम एक ऐसे महामानव थे। जो स्वयं परेशानियों में रहते हुए भी उन्होंने जन कल्याण के कार्य कियें।उनके द्वारा बताया गया मार्ग संपूर्ण विश्व की लोगों के कल्याण के लिए है।तुलसीदास ने रामचरितमानस में कहां है जासु राज प्रजा दुखारी, सो नृप नरक अवश् अधिकारी।। श्री राम यह चाहते थे कि यह जो मैं आदर्श आप सभी के लिए दे रहा हूं। यह मानव की शांति के लिए है। विश्व शांति के लिए है ।आत्मिक उन्नयन के लिए है। सामाजिक चेतना जागृत करने के लिए हैं ।भौतिकवाद क्षणिक हो सकता है लेकिन आध्यात्मिक वाद उतना ही विस्तृत और व्यापक होता है ।संसार क्षणभंगुर है लेकिन इस क्षणभंगुरता का मतलब यह नहीं है कि हम समाज से देश से राष्ट्र से उदासीन हो जाए। जनकल्याण के साथ-साथ हमें आत्मिक कल्याण के बारे में भी सोचना होगा। भगवान श्री राम द्वारा स्थापित किए गए उच्च आदर्शो को अपनाना होगा ।भगवान श्री राम समुद्र के समान गंभीर स्वभाव के थे उनकी गंभीरता जगत प्रसिद्ध है। रावण अंतिम समय में अधीरता का शिकार हो गया था। जिसकी वजह से वह मृत्यु को प्राप्त हुआ और भगवान श्री राम की विजय हुई रावण असत्य का प्रतीक था और भगवान श्री राम को यह आदर्श स्थापित करना था कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है। असत्य हमेशा ही पराजित होता है ।गहन अंधकार में आशा की एक किरण ही काफी होती है ।गहन अंधकार में भी वह किरण हमें नजर आ जाती है। हमें विश्वास रखना चाहिए ।हमें आस्था रखनी चाहिए। अपने पूर्वजों द्वारा बताई गये रास्ते पर चलें । निश्चित मानिए ये सारी दुनिया आपकी होगी । तुम दुनिया के होंगे और दुनिया तुम्हारी तरफ आशा भरी दृष्टि से देखेगी। भगवान श्री राम करुणा की साकार मूर्ति थे ।उन्हें देश के गरीब आदिवासियों के प्रति गहन सहानुभूति थी ।वह चाहते थे कि यह भी उन्नति करें। इन्हें भी अन्य लोगों के समान अपना जीवन यापन सुख पूर्वक करने का अधिकार मिले लेकिन रावण नहीं चाहता था कि जंगलों में रहने वाले लोग भी सुख पूर्वक रहे ।रावण उन पर नाना प्रकार के अत्याचार किया करता था। श्री राम ने इन सब का विरोध किया उनके हक और अधिकार दिलाए। उनके साथ मिलकर खड़े हुए और यह आदर्श स्थापित किया कि जब सबका विकास होता है तभी हमारी आत्मक उन्नति हो सकती है । युगों युगों तक जन सामान्य में श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से प्रसिद्ध रहेंगे।.......................... प्रमोद कुमार