
क्या मध्यप्रदेश में नगर निगम के उपभोक्ताओं की निजी जानकारी पर डाला जा चुका है डाका?
देवास। (सैयद सादिक अली) देवास नगर पालिका में विगत कुछ दिनों से ऑनलाइन टैक्स और शुल्क जमा करने का कार्य बंद है। नगर निगम के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि देवास ही नहीं पूरे प्रदेश में (सिर्फ भोपाल जिले को छोड़कर) ई नगर पालिका के पोर्टल को किसी शरारती तत्व या साइबर अपराध से जुड़े हैकर्स द्वारा हैक करने की कोशिश की गई जिसके कारण प्रदेश ई नगर पालिका पोर्टल को बंद कर दिया गया है। विगत 21 दिसंबर से प्रदेश के लगभग सभी जिलों में नगर निगम में टैक्स और बिल जमा होने के साथ ही ऑनलाइन जमा किए जाने वाले शुल्क और हजारों प्रकार के ट्रांजेक्शन बिलकुल बंद हो गए हैं। निगम में जन्म मृत्यु पंजीयन शुल्क, सूचना के अधिकार सहित टैक्स जमा करने वाले उपभोक्ताओं को निराशा ही हाथ लग रही है। लोगों को आश्वासन मिला था कि मंगलवार से वापस सभी सुविधाएं शुरू हो जाएंगी लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार की कोई सुविधा शुरू नही हो पाई है।
नगरीय विकास एवम आवास विभाग की अधिकृत वेबसाइट ई नगर पालिका पर रेंसम वेयर अटैक होने की पुष्टि हुई है। इस बड़े साइबर अटैक के बाद 21 दिसंबर सुबह साढ़े दस बजे से इस पोर्टल को बंद कर दिया गया था और जांच एजेंसियों को भी अलर्ट कर दिया गया था। इस के बाद से ही मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन MPSEDC, कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम इंडिया (सर्ट इन) और स्टेट साइबर सेल जांच में जुट गई हैं।
क्या है रेंसम वेयर?
रैंसम वेयर एक तरह का फिरौती मांगने वाला सॉफ्टवेयर है जिससे हैकर कंप्यूटर सिस्टम या सर्वर को प्रभावित कर सकता है और उपभोक्ताओं की निजी जानकारी का दुरुपयोग कर सकता है। फिलहाल में ये डाटा कहां से हैक किया गया हैं और कितने उपभोक्ताओं का डाटा हैक किया गया है इसका पता जांच एजेंसियों की जांच पूरी होने के बाद ही चल पाएगा।
आखिर क्यों हुआ इतना बड़ा साइबर अटैक और भोपाल नगर निगम का डाटा कैसे बचा?
नगरीय प्रशासन एवम विकास विभाग की अधिकृत वेबसाइट पर इतना बड़ा हमला होने के पीछे बहुत से कारण है लेकिन सबसे बड़ा कारण विभाग की निष्क्रियता दिखाई पड़ रही है। साइबर एक्सपर्ट के अनुसार हजारों ट्रांजेक्शन करने वाली ये वेबसाइट नॉट सिक्योर होकर 2012 के सर्वर वर्जन पर संचालित था जबकि अभी अन्य विभागों की साइट 2022 के वर्जन पर चल रही हैं। विभाग के आईटी शाखा के अफसरों की मानें तो ये सिर्फ एक अटैक है विभाग का पोर्टल हैक नहीं हुआ है। अटैक का पता चलते ही वेबसाइट को बंद कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार भोपाल के डाटा पर किसी भी प्रकार की कोई सेंध नहीं लग पाई हैं क्योंकि तकनीकी परेशानियों के कारण भोपाल नगर निगम एसएपी के स्थान पर हाना सॉफ्टवेयर पर शिफ्ट कर ली गई थी। अब प्रश्न यह उठता है कि लाखो उपभोक्ताओं के डाटा पर नगर निगम की उदासीनता और निष्क्रियता के कारण बड़ा डाका डाला जा चुका है जिसका जिम्मेदार कौन होगा?
ए. आई. तकनीक से युक्त पोर्टल 96.7 करोड़ में हो रहा है तैयार
नगरीय विकास एवम आवास विभाग के डिप्टी डायरेक्टर देवेंद्र व्यास के अनुसार ई नगर पालिका 2.0 पोर्टल का काम 96.7 करोड़ रुपए से किया जा रहा है जिसे तैयार होने में 4 माह का समय लगेगा जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा जिसका कार्य अगले 7 वर्षों तक एस. आर. आई. टी. इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जायेगा। इसमें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के 2 साल और आगामी 5 साल संपूर्ण मेंटेनेंस के रहेंगे। पोर्टल का पहला चरण नए वित्तीय वर्ष में लांच किया जाएगा।
टेंडर अवधि खत्म होने के बाद भी क्यों नहीं जागा विभाग?
यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि हैक हो चुके ई नगर पालिका पोर्टल 1 का काम ए बी एम नॉलेज वेयर के पास था जिसकी टेंडर अवधी पूर्ण हो चुकी है। टेंडर अवधि पूर्ण होने के बाद और अन्य फर्म का टेंडर हो जाने के बाद इस प्रकार की हैकिंग पुरानी फर्म को भी शंकाओं के घेरे में लेकर जाती है, जो कि जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगा।
किसी बड़ी आर्थिक अनियमितता को भी माना जा सकता है कारण?
नगर निगम से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि इस बड़े साइबर अटैक या हैकिंग को किसी बड़ी आर्थिक अनियमितता को दबाने के लिए भी किया जा सकता है। वर्तमान में मुख्यमंत्री से लगा कर मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव हो चुका है। नगर निगम की कमिशनबाज़ी और भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है ऐसे में बड़े उपभोक्ता जिनका लाखों का संपत्ति कर बकाया है या फिर व्यवसायिक उपभोक्ता जिन पर लाखों रुपए बाकी था साथ ही ऐसी अनेक फाइल जो वर्षों से दबी पड़ी थी उन सभी का डाटा भी डिलीट कर दिया गया तो निगम को बड़ी राजस्व हानि हो सकती है। फिलहाल ये महत्त्वपूर्ण है कि साइबर एक्सपर्ट किस हद तक इस साइबर अटैक की शुरुआत से लेकर अंत तक का खुलासा कर पाते हैं। वैसे यह साइबर अटैक किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है?