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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वसूली के मामले में लापरवाह बने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कारनामे को भी एक स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने संज्ञान लिया तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मुश्किल बढ़ना तय है

कौशाम्बी; सरकारी अस्पतालों में आम जनमानस को निशुल्क जाँच और इलाज किए जाने का योगी सरकार का आदेश कौशांबी में बकवास साबित हो रहा है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मूरतगंज में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी की मौन स्वीकृति से बेखौफ तरीके से इलाज और जांच के नाम पर पूरे दिन स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा वसूली की जा रही है इलाज और जांच के प्रत्येक कार्यों में वसूली का निश्चित रेट स्वास्थ्य कर्मियों ने तय कर रखा है सूत्रों की माने तो मूरतगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में डिलवरी पर छः सौ रुपये और ब्लड जाच में तीस रुपए अवैध वसूली हो रही है गुलोकोस का भी दो सौ रुपये मरीज से वसूलते हैं इसी तरह अन्य कार्यों के भी रेट निश्चित कर दिए गए हैं यह सरकारी अस्पताल है या फिर निजी नर्सिंग होम बन चुका है यह बड़ी जांच का विषय

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मूरतगंज की स्थिति इतनी बदतर है कि जिस मरीज और उनके परिजनों ने स्वास्थ्य कर्मियों की वसूली में सहयोग किया उनकी जांच और इलाज हो जाती है और जिन मरीजों के परिजनों ने जांच और इलाज में वसूली का विरोध किया उन्हें इस अस्पताल में इलाज नहीं मिल पाता है मरीजों के मर्ज की जांच नहीं हो पाती है जिससे मरीज और उनके परिवार के लोग जांच और इलाज के लिए दर-दर भटकते देखे जाते हैं बेखौफ तरीके से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हो रही वसूली के बाबत प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने भी अभी तक स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्यवाही नहीं की है आला अधिकारियों से लेकर शासन तक को वसूली की सूचना प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने नहीं भेजी है जिससे वसूली में उनके साठगांठ से इनकार नहीं किया जा सकता है मामले में शासन स्तर से यदि जांच कराई गई तो वसूली करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ प्रभारी चिकित्सा अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल खड़ा होना तय हैं इतना ही नहीं बेखौफ तरीके से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वसूली के मामले में लापरवाह बने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कारनामे को भी एक स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने संज्ञान लिया तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मुश्किल बढ़ना तय है

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