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*कथा के छठवें दिवस श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर चित्रण सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु* *तपोभूमि गंगाझिरिया धाम में 26 वे 31 दिवसीय श्रीरामचरितमानस महायज्ञ आयोजन हो रहा*

जबेरा - जनपद पंचायत जबेरा ग्राम बीजाडोगरी प्रसिद्ध तपोभूमि गंगाझिरिया धाम में मंदिर में चल रही 31 दिवसीय श्रीरामचरितमानस महायज्ञ छटवें दिवस की श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक पं श्री विपिन बिहारी साथी जी सागर ने गोपियों के संग श्री कृष्ण की रास लीला के सुंदर चरित्र का वर्णन किया। श्री कृष्ण नंदगाव में अपनी लीलाये करके अपने मामा कंस की नगरी मथुरा की यात्रा पर चले गये, वहां उन्होंने कुबड़ी और धोवी का कल्याण कर उन्हें अपने धाम पहुँचा दिया मथुरा में कंस के साथी चांडूर और मुष्टिक का वध किया और कंस के केशो को पकड़ कर धरती पर पछाड़ दिया मथुरा का राज्य पुनः अपने नाना उग्रसेन को दिया श्रीकृष्ण ने उद्धव को अपना सन्देशा लेकर नंदगाँव और ब्रज भेजा जहां उनकी माँ यशोदा उनके प्रेम में खाली झूला झूला रही है और गोपियां उनकी प्रीत में सुध बुध खोये है उद्द्ध्व के समझाने पर गोपिया कहती है कि "मन ना भये दस बीस और एक हथो सो गयो श्याम संग को आ राधे ईश"और उद्धव बापिस मथुरा को आये सब समाचार श्रीकृष्ण को सुनाया कथावाचक ने बताया कि कंस की दो पत्नियां अस्थि और प्राप्ति जो जरासंध की बेटियां थी जब उन्होंने अपने पिता जराशंध को बताया कि मेरे पति कंस को श्री कृष्ण ने मारा है तब जरासंध श्री कृष्ण पर आक्रमण किया और लगातार 17 बार युद्ध किया लेकिन हर बार हार गया किन्तु जब जरासंध ने 18 वी बार आक्रमण किया भगवान ने एक लीला और रची और भगवान रण भूमि छोड़कर भाग गए जिससे उनका नाम रणछोड़ पड़ा फिर भगवान ने द्वारिका बसाई और वहां रहने लगे। श्री कृष्ण ने रुक्मिणी को हर कर उनसे विवाह रचाया जब रुक्मिणी गौरी जी के पूजन को गयी और मंदिर से पूजा करके बाहर आई तो चमचमाते हुए रथ को देखा जिस पर श्रीकृष्ण सबार थे और भगवान रुक्मिणी को लेकर चले गये और विवाह किया।बड़ी संख्या में श्रद्वालु यज्ञ परिक्रमा करते हैं श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करते हैं

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