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कापसी में पांच दिवसीय गणगौर महोत्सव का शुभारंभ रात्रि में सिर्वी चौक में होगा आकर्षक गणगौर नृत्य


कापसी/मध्यप्रदेश । राजा धनियार (ईश्वरजी) व रणुमा (गणगौर) के ग्रस्त प्रेम एवं शिव पार्वती के पूजन व आराधना से जुड़ा संगीत,कला,परंपरा तथा आस्था का प्रतीक पावन पर्व *गणगौर ग्राम कापसी में सिर्वी समाज द्वारा हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा*। गणगौरी तीज गुरुवार को प्रात: ब्रह्म मूहर्त में माता की बाड़ी श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ एवं पूजन हेतु पण्डित उमेशचंद्र शर्मा द्वारा खोल दी गई। ग्रामवासी अल सुबह ही माता की बाड़ी में बोए गए ज्वारों का पूजन करने स्थानीय राम मंदिर परिजनों के साथ पहुंचे। सिर्वी समाज सकल पंचो के नेतृत्व में तकरीबन 10 बजे समाज के पूरुष,युवा, बालिकाएं,महिलाएं व बच्चे नए परिधान पहनकर लगभग 90 सुसज्जित काष्ठ प्रतिमाओं के रथ लेकर विशाल चल समारोह के साथ ढोल-धमाकों से राम मंदिर माता की बाड़ी में ज्वरा लेने पहुंचे।यहां पूजा व आरती करके माता के ज्वारों को रथों में रखकर बड़ी श्रद्धा भाव से अपने-अपने घर लाया गया। घरों पर माता का पूजन कर प्रसादी स्वरूप भोग लगाया गया। रात्रि में सभी रथों को आई माताजी मंदिर में पानी पिलाने हेतु एकत्रित किया जाता है व चौक में आकर्षक सामूहिक गणगौर नृत्य होता है जिसे देखने भारी भीड़ उमड़ती है। सिर्वी समाज के पुरुषों द्वारा दिन में डांडिया नृत्य चौक में किया जाता है वहीं रात्रि में भी मनोरंजक नृत्य कार्यक्रम होते हैं। माता जी के ज्वरों का विसर्जन विशाल चल समारोह पूर्वक ग्राम के प्रमुख मार्गो से होता हुआ स्थानीय नदी तट पर किया जाता है। इस बार अरविन्द रामाजी व विनोद रामाजी भायल के यहां पर रात्रि विश्राम के चलते गणगौर का विसर्जन 15 अप्रैल को शाम 5 बजे होगा। स्थानीय नदी तट पर विसर्जन समारोह में भारी संख्या में नागरिक एकत्रित होकर माता का पूजन कर नम आंखों से उन्हें विदाई देंगे यह दृश्य किसी मेले से कम नहीं दिखाई देता।

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