logo

ईश्वर की खोज व्यर्थ है.. (1)

ईश्वर की खोज बाहर कहीं और करना वैसा ही है जैसे प्यासे का कुएं के पाट पर बैठकर दूर... बहुत दूर... दिखती आभासी मृगमारीचिका को प्यास बुझाने का साधन समझना...
.
हमारा पौराणिक इतिहास बताता है कि हमसे पहले इस धरती पर अनेक सिद्ध पुरुष, साधु, संत , ऋषि, मुनि, देवता , अवतार हुए.. जिनने स्वयं को सार्थक कर संसार को उपकृत किया!
.
क्या था उनमें और क्यों ईश्वरीय थे वे?
.
एक वैशिष्ट्य सबमें उपस्थित था और वह था अंतर्दृष्टि समृद्ध होना ! चेतन्य होना ! जो जितना चेतन्य हो सका वह उतना दिव्य (ईश्वरीय शक्तियों से सम्पन्न) हो गया!
वे स्वयं आदर्शों पर चले..! एक नये पथ के सृजन बने !
(ना कि पर उपदेशी बन विलासिता में रत हुए हों! )
.
कैसे हुआ होगा यह परिवर्तन?
.
अगले अंक में..



24
2841 views
3 comment  
  • Sathyarchan Virendra Kumar Khare

    Share option is not active!

  • Sathyarchan Virendra Kumar Khare

    Share option is not active!

  • Sathyarchan Virendra Kumar Khare

    Share option is not active!