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सुगति

"गति करे दुर्गति"
गति से जीवन है।
थमना ही मृत्यु है।
अनियंत्रित गति घातक।
विश्राम नहीं ले साघक।
ध्यान हटा, दुर्घटना होगी।
कुगति से दुर्गति तब होगी।
उर्वरकता से, धन-धान्य पाएगा।
विवेक से लक्ष्य, निकट आएगा।
नर पशुता छोड़ कर,
चिर निंद्रा तोड़ कर,
गतिशील रे कहलाएगा।
प्रगति ध्वज फहराएगा।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल

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