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श्री राजा पलिया जी की कलम से सही मायनों में वृक्षारोपण का महत्व

मित्रो, भीषण गर्मी के कारण इन दिनों अधिकांश लोग वृक्षारोपण की सलाह दे रहे है। मुझे लगता है कि सलाह देनेवाले और उसे माननेवाले अधिकांश लोगों के लिए वृक्षारोपण का अर्थ ही नहीं मालूम। जमीन में एक फीट का गड्ढा खोदकर उसमे एक पौधे को लगाते हुए दो गिलास पानी देने की रील या फोटो बना लेने की नौटंकी को लोगों ने वृक्षारोपण बना रखा है। इनमें से अधिकांश पौधे उसी दिन या आनेवाले कुछ दिनों में यह बददुआ देते हुए मारे जाते हैं कि इससे अच्छा तो हमे जन्म ही ना दिया होता। यह इसलिए होता है कि हम लगाए गए पौधे की तरफ बाद में ध्यान नहीं देते। उसे मरने के लिए छोड़ देते हैं। घर-परिवार के किसी बच्चे के भोजन और स्वास्थ्य का ध्यान ना रखा जाये तो ऐसे ही दुखद नतीजे सामने आना तय है।
हरियाली और खूबसूरती के लिए सुंदर पौधों को लगाना एक अलग बात है। वृक्षारोपण से प्रकृति की सेहत दुरुस्त करना है तो सबसे पहले पीपल, नीम, पाकर, बड़, आम जैसे कल्याणकारी पौधों का चयन करे जो हमे आक्सीजन देते हैं। किसी जानकार से सलाह लेकर उन्हें जमीन आत्मीयता से रोपित करे और किसी नवजात शिशु की तरह उसकी सेहत और सुरक्षा का ध्यान कम से कम 15 साल तक करें। आपके स्नेह और संरक्षण में जब वह पेड़ बनकर झूमेगा उस समय आपको लगेगा आपने कुदरत का आभार माना है। अपने लिए..... अपनों के लिए कुछ किया है। इस अनमोल जीवन का मूल्यांकन किया है। आपका – राजा पलिया

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