
बढ़ता प्रदूषण एवं पर्यावरण संरक्षण
माता सीता की जन्मभूमि का शहर सीतामढ़ी में पर्यावरण के दृष्टिकोण से स्वच्छता का ध्यान रखना परम आवश्यक है। शहर के अधिकतर नाला में जाम की समस्या लगी हुई है और जल का प्रवाह रुका रहता है ।
प्लास्टिक की थैली कचरा का नियमित सफाई ना होने के कारण शहर के विभिन्न सड़क के किनारे ढेर और अंबार लगा रहता है, इसके लिए नियमित सफाई होनी चाहिए।
लक्ष्मणा गंगा के किनारे बसे हुए मोहल्ले में वाटर ग्रैनेज की व्यवस्था होनी चाहिए ।ताकि प्रदूषित जल साफ होकर नदी में प्रवाहित किया जाए ।सड़क के किनारे दुकानदारों के द्वारा सड़क पर ही गंदगी छोड़ दी जाती है। खासकर फुटकर विक्रेता व्यवसाय जिसे नियमित सफाई करना आवश्यक है।
रिंग रोड के पास कचरा का ढेर लगा हुआ रहता है जानकी स्थान से लेकर बाहरी रिंग रोड पर कचरा का अंबार लगा हुआ रहता है । जिससे मोहल्ले वासी का जीना मुश्किल हो जाता है। इसे नियमित सफाई कर खत्म करना चाहिए। कचरा प्रबंधन का विशेष टेक्नोलॉजी का विकास कर इससे शुद्ध और परिष्कृत कर काम किया जा सकता है ।
मुख्य पथ और मोहल्ले में जलजमाव की समस्या रहती है जिसको दूर करना परम आवश्यक है । इसके लिए विधि सम्मत पदाधिकारियों से सहयोग लेकर उचित जल प्रबंधन करने की आवश्यकता है । जगह-जगह शौचालय ना होने के कारण लोग सड़क के किनारे खुले जगह पर शौचालय करते हैं ।जिससे गंदगी और बदबू बढ़ती रहती है इसके लिए अनुकूल स्थान पर सामूहिक शौचालय का निर्माण करना परम आवश्यक है ।
सीतामढ़ी जिले में जिलाधिकारी वन विभाग द्वारा हजारों पेड़ लगाए गए परंतु उसका संरक्षण नहीं हुआ। वृक्ष हमारी मां की जैसी है उसकी छांव में शकून मिलता है ।इसलिए पर्यावरण के दृष्टिकोण से वृक्ष अधिकतम लगे और उसका संरक्षण का ख्याल रखना चाहिए।
नगर निगम क्षेत्र के कर्मचारी सफाई कर्मी, कचड़ा गाड़ी की संख्या में वृद्धि हो जिससे नियमित सफाई हो सके। माता सीता की जन्मभूमि होने के कारण देश के अन्य राज्य से आए पर्यटकों में काफी उदासी है। यहां जानकी जन्मभूमि परिसर और आसपास की गंदगी पालस्टिक बैग, कचरा थैली की नियमित सफाई हो।
मंदिर परिसर की गंदगी और सड़क की गंदगी को नियमित सफाई होनी चाहिए। एकमात्र लक्ष्मणा नदी लखनदेई जो बीच शहर से गुजरती है। नदी के दोनो साइड गंदगी का भरमार है। स्वच्छ जल निर्मल प्रवाह के इंतजार में नदी नाला में तब्दील है।
हिंदुओ की आस्था का महापर्व छठ पूजा मुश्किल हो गया है। शहर के नाले का गंदा पानी सीधा नदी में प्रवाहित है। विलुप्त जल प्रवाह को लाना जिला प्रशासन की प्रथम जवाबदेही होना चाहिए। नदी में मूर्ति विसर्जन से नदियां दूषित और प्रदूषित हो जाती है। लेकिन शहर की तमाम गंदगी के प्रवाह से क्या नदियां दूषित नही होती। यह यक्ष प्रश्न प्रशासन से करना यथोचित है ?
जाम की समस्या और लगातार वाहन से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड गैस वातावरण को और नुकसान देता है।
इसलिए सड़क के किनारे के अतिक्रमण को मुक्त कराकर शहर के चिन्हित स्थान पर फुटकर विक्रेता को जगह दी जाए।ताकि जाम की समस्या थोड़ा कम हो।
स्वस्थ रहने के लिए साफ सुथड़ा और स्वच्छ रहना अति आवश्यक है।पेड़ अधिक से लगाकर पर्यावरण की रक्षा किया जा सकता है।
वही सभी नागरिकों को प्लास्टिक की थैली के जगह कपड़ा का झोला लेकर बाजार जाना चाहिए।
गंदे जगहों पर फेंके गए भोजन,अपशिष्ट,रात में फेंके गए सब्जी के छिलके को भटकता जानवर पशु खाता है। उसमे भी प्लास्टिक का थैला उस जानवर के पेट में चला जाता है और उसकी मृत्यु तक हो जाती है।
प्लास्टिक थैला मिट्टी में सड़ता नही है बल्कि वर्षो तक मिट्टी की उर्वरता को नष्ट करता है। इसलिए पर्यावरण के दृष्टि से प्लास्टिक थैला का पूर्ण बहिष्कार करना चाहिए।
होटल रेस्टुरेंट हॉस्पिटल में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्लास्टिक बैग्स,निडल्स,डिस्पोल सीरिंच,दवा पैक,ऑपरेशन थियेटर की गंदगी ,से बचने के लिए जिला प्रशासन से विशेष आदेश निर्गत किया जाए। ताकि कचड़ा प्रबंधन बेहतर हो।स्वच्छ साफ सुंदर जानकी जन्मभूमि शहर मनोरम बने।
यातायात व्यवस्था सुदृढ़। हो।सड़क हरित और सुंदर दिखे।एकमात्र सीता कुंज नगर उद्यान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने। शानदार पुष्प शृंखला और सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम किया जाए।ताकि लोग सीता कुंज नगर उद्यान जाकर प्रकृति की गोद में परमानंद शकुन शांति और हृदय से शीतलता महसूस कर सके।
सीता माता की जन्मभूमि को स्वच्छ रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। लेकिन दुर्भाग्य यही है लोग घर तो सभी साफ करते है लेकिन कचड़ा सड़क पर ही डाल देते है और उसी सड़क से प्रतिदिन नाक बंद कर आते जाते है।
स्वच्छता की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की है।हम सभी को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना होगा।
घर में तुलसी, मणि प्लांट,गमला में फूल का पौधा,मुख्य। द्वार को गमला से सजाकर घर को भी हरित घर बना सकते है और शुद्ध हवा को प्राप्त करने में ऑक्सीजन की प्राप्ति में गिलहरी प्रयास कर सकते है।
आए हमसभी मिलकर पर्यावरण को स्वच्छ रखें और वृक्ष लगाकर पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करे।साफ सुंदर स्वच्छ सीतामढ़ी का निर्माण करे।माता सीता धरती से प्रकट हुई इसलिए इस पुण्य धरा को नमन करे और पवित्र प्राकट्य भूमि को सर्वोत्तम बनाए।
पर्यावरण संरक्षण वैश्विक आवश्यकता है।हिमालय पर्वत श्रृंखला तक आधुनिकता के नाम पर कटाई छटाई कर सड़क यातायात व्यवस्था निर्माण भी प्रकृति से खिलवाड़ है।वृक्षों की नियमित कटाई पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ दिया है।बरसात की कमी के कारण जिला का विभिन्न क्षेत्र पानी को तरस रहा है।नदियां सूख गई है। तालाब सूख गए है। सोखता निर्माण अधूरा है।ऐसे में जल स्तर की गिरावट से चापाकल पानी देना छोड़ दिया है।जन्मदिन वैवाहिक वर्षगांठ उत्सव में एक पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण में सभी अपनी भूमिका निभा सकते है।
✍️ अमरेन्द्र