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गौवंश की सेवा में जीवन समर्पित

आज हम आपको रूबरू करवा रहे हैं एक ऐसी शख्सियत से जिन्होंने बचपन से लेकर अपनी किशोरावस्था तक का समय गौवंश की सेवा में समर्पित कर दिया। और यह सेवा कार्य अब एक मिशन का रूप ले चुका है।

नवदीप सिंह लोहिया

जी हां हम बात कर रहे गौभक्त नवदीप सिंह लोहिया की राजगढ़ नगर में रहने वाले नवदीप सिंह की बचपन से ही जीवों की सेवा करने का शौक रहा । धीरे-धीरे इसी शौक़ ने एक मिशन का रूप लिया और आज नवदीप अपनी पूरी टीम के साथ गौवंश की सेवा में जुटे हैं।

नवदीप ने अपना विद्यार्थी जीवन भी गौवंश की सेवा में बिताया।

नवदीप ने अपना विद्यार्थी जीवन भी गौवंश की सेवा में बिताया । बीएससी में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके प्रवीण अब तक लगभग पाँच हजार गौवंश को रेस्क्यू कर चुके हैं। एक दौर ऐसा भी आया कि नवदीप को एक सच्चे गौभक्त होने की अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा। जी हां यह दौर था कोरोना महामारी के बाद गौवंश में फैली एक महामारी लम्पी का। लम्पी के दौरान नवदीप ने बढ़ चढ़ कर गौवंश की सेवा की। नवदीप सिंह का गौवंश के प्रति इतना स्नेह रहा कि उन्होंने लम्पी महामारी के दौरान अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए लम्पी ग्रसित गौवंश में से लगभग सेकड़ो लम्पी ग्रसित गौवंश की जान बचाई। नवदीप सिंह एक सामाजिक संस्था श्री जालपा माता गौशाला राजगढ़ के संचालक हैं।

हाल ही में नवदीप, गौवंश की सेवार्थ एक गौशाला श्री जालपा माता गौशाला का नवनिर्माण जनसहयोग करवा रहे हैं निर्माणाधीन यह गौशाला यह बताती है कि नवदीप गौवंश की सेवा में कितने समर्पण के साथ जुटे हुए हैं।

नवदीप बताया कि इस सेवा कार्य के प्रेरणा स्त्रोत उनके पिता श्री छगन सिंह लोहिया रहे हैं। उन्होंने समय-समय पर नवदीप को यह सिखाया कि गौवंश ईश्वर का प्रतिरूप है और इनकी सेवा करने के पश्चात भगवान की पूजा करना भी जरूरी नहीं रह जाता। क्योंकि 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास एक गौवंश के शरीर में होता है। बस इन्हीं सब बातों से प्रेरित होकर नवदीप आज भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चल कर गौवंश की सेवा कर रहे हैं।

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