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बंगाल रेल हादसा के बाद राजनीति और दिखावा दोनो हुई जारी

बंगाल रेल हादसा के बाद सत्ता दल और विपक्षी दोनो के पास मौके पर्याप्त आ चुके हैं।
हादसे में हुई जान माल की नुकसान के आकलन के बहाने एक दूसरे पर कटाक्ष का मानो समा बांध गया है ।
एक जिम्मेवारी दोनो पक्ष की ये होनी चाहिए थी की जब इस तरह की आपदा कभी भी हो तो सत्ता और विपक्ष दोनो को एक हो कर देशवासियों की मदद में लग जाते ।
कितना अच्छा होता अगर विपक्षी भी मौकाए वारदात पर आकर जायजा लेते और मुवाबजा और संतावना की आवाज उठाते पक्ष धर गरीबों के उत्थान के लिए कदम उठाती ।
कोई भी दल या पार्टी समाज के एक एक जन से वोट लेने का हक रखते है इस लिए एक एक जन का हक है हर निर्वाची व्यक्ति पर हक रखता है ।
एक सभ्य देश वासी बनाने के लिए इस तरह के तमाम काम करने होंगे ।
हादसे कही भी किसी की भी गलती से हो सकते है ।
हालाकि आगे गलती न हो इस लिए घटना के जांच की मांग को प्राथमिकता देना चाहिए ।
दोषी को सजा और पीड़ित को मुवावजा मिलना चाहिए ।

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