logo

छतीसगढ़ के कोरबा जिले का “व्हाइट गोल्ड” ब्लॉक नीलाम, MSMPL ने खरीदा… ग्लोबल मार्केट में एक टन लिथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रु… जाने क्या है लिथियम

छतीसगढ़ राज्य के कोरबा जिला अंतर्गत पड़ने वाले कटघोरा क्षेत्र में लिथियम का बड़ा भंडार मिला और इसकी नीलामी की प्रक्रिया भी चल रही थी.कटघोरा के लिथियम ब्लाक के लिए ओला,वेदांता, जिंदल,श्री सीमेंट,अडानी समूह,अल्ट्राटेक सीमेंट सहित कई बड़ी कंपनियों ने बोली लगाई थी.अर्जेंटीना की भी एक कंपनी द्वारा बोली में भाग लेंने की बात सामने आई.नीलामी में सबको पीछे छोड़ते हुए भारत की ही मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड [ MSMPL] ने इस लिथियम ब्लॉक को खरीदने में सफलता हासिल की.सोमवार को नीलामी की प्रक्रिया पूरी हुई।

कटघोरा लिथियम ब्लॉक देश का पहला ऐसा लिथियम ब्लॉक हैं जिसे नीलामी में मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड [ MSMPL] खरीद लिया है.
एमएसएमपीएल को यह ब्लॉक 76.05 प्रतिशत की नीलामी प्रीमियम पर दिया गया हैं.कंपनी ने नीलामी के चौथे दौर में लिथियम ब्लॉक खरीदने में सफलता अर्जित की हैं.

केंद्रीय खान मंत्रालय ने कहा हैं कि मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड [ MSMPL] ने कोरबा जिले के कटघोरा लिथियम ब्लॉक और दुर्लभ पृथ्वी तत्व [आईईई]] ब्लॉक के लिए पंसदीदा बोलीदाता के रूप में सामने आया हैं।
बता दे कि गांव घुचापुर कटघोरा के आसपास के 250 हेक्टेयर क्षेत्र में लिथियम पाये जाने की पुष्टि जीओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने की थी। कटघोरा के साथ ही कश्मीर के रियासी इलाकों में स्थित लिथियम ब्लॉक की भी नीलामी शुरू की गई थी.प्रारंभ में इसके लिए समुचित बोलीदार आगे नहीं आये थे,जिससे इसकी ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया को पूर्व में रोकना पड़ा.अब कटघोरा में देश का पहला लिथियम खदान बनेगा साथ ही ऐसा पहला खनन प्रोजेक्ट होगा जिसके लिए कंपोजिट लायसेंस दिया गया हैं।

कटघोरा में लीथियम खदान आधारभूत सुविधाओं से युक्त मैदानी इलाके में हैं.इसके चलते यहां निवेशकों का रुझान अधिक रहा.माना जा रहा हैं कि यहां लिथियम खदान शुरू होने के बाद यहां रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे,तकनीकी एक्सपर्ट और संसाधनों के विकास के लिए भी लोगों की आवश्यकता होगी.इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

क्या है लिथियम

लिथियम एक रासायनिक पदार्थ है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बाद भी ये चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है। लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरियों में होता है और इस क्षेत्र में चीन का भारी दबदबा है। REE के विशिष्ट गुणों के कारण इसका इस्तेमाल स्मार्ट फोन, एचडी डिस्प्ले, इलेक्ट्रिक कार, वायुयान के महत्त्वपूर्ण उपकरण, परमाणु हथियार और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी विकास में होता है।

आसान होगा स्वदेशी बैटरी निर्माण

लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा। नीति नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है जिसमें भारत में बैटरी की गीगाफैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी। भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी, क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है।

एक टन की कीमत 57.36 लाख रुपए

दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस लिहाज से भारत में लिथियम का अपार भण्डार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है।

6
5168 views