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डॉक्टर दयाकृष्ण की पुण्यतिथि पर काव्य गोष्ठी


कोटा के उद्घभट विद्वान एवं प्रखर रचनाकार आदरणीय डॉ दया कृष्ण विजय की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने की और विशिष्ट अतिथि डॉ रघुराज सिंह कर्मयोगी शोभायमान रहे।काव्य गोष्ठी उनके सुपुत्र श्री हेमंत कृष्ण विजय एवं परिजनों द्वारा द्वारा "डॉ दया कृष्ण विजय स्मृति एवं शोध संस्थान" के तत्वावधान में आयोजित की गई। संचालन विष्णु शर्मा ने किया। इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में रामेश्वर शर्मा ने डॉ दया कृष्ण विजय के जीवन, उनके साहित्यिक कृतित्व तथा व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ रघुराज सिंह कर्मयोगी ने अपने संबोधन में कहा मैं जब पैसेंजर ट्रेन से छजावा स्टेशन पर आता था तो उनकी जन्मभूमि की चरणरज को मांथे से लगा कर स्वयं को धन्य मानता था। उनके साहित्य पर अनेक छात्र पीएचडी कर बड़े पदों पर पहुंचे हैं। उन्होंने 50 से अधिक पुस्तक लिखी हैं। जिसमें आंजनेय,आदि सम्राट,रमता राम जैसी अद्वितीय पुस्तके प्रमुख हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी से आंजनेय पर उन्हें मीरा पुरस्कार मिला। वह अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।इस अवसर पर भगवत सिंह मयंक, कमलेश कमल, खुशीराम सिंह चौधरी, योगीराज योगी, बालू लाल वर्मा, कालीचरण राजपूत, सत्येंद्र वर्मा, राम शर्मा, रामगोपाल गौतम, हेमंत कृष्ण विजय, रघुनंदन हटीला आदि रचनाकारों ने भिन्न-भिन्न रसों की कविताएं प्रस्तुत कर स्रोताओं की दाद बटोरी।

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