
हरियाणा की राजनीति में दक्षिण हरियाणा की हैसियत एवं स्थिति !
हरियाणा में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार बने लेकिन बिना दक्षिण हरियाणा को साधे ये मुमकिन नही और इस बात को सभी पार्टियां भली भांति जानती हैं ! इसीलिए ना चाहते हुए भी यहां के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनैतिक घराने 'रामपुरा हाउस ' को दरकिनार नही कर सकते ! लेकिन ये भी विडंबना ही है की सभी राजनैतिक पार्टियों ने कभी भी इस इलाके को राजनैतिक रूप से इतना पनपने भी नही दिया की वो हरियाणा की चौधर ले सकें ! इसी वजह से राव इंद्रजीत सिंह को कांग्रेस छोड़नी पड़ी थी लेकिन अब लगता है की भाजपा भी उनके साथ वही व्यवहार कर रही है ! भाजपा भी नही चाहती की वो खुद को पार्टी से ऊपर साबित कर सकें जबकि ये भी सच्चाई है कि उन्हीं की बदौलत पार्टी पिछले चुनावों में यहां से इतनी सीटें जीत पाई थी ! इस बार पार्टी ने उनकी बेटी को टिकट देकर उन्हें ऐसे बाँध लिया की वो चाहकर भी अपने बाकी समर्थको के लिए उतनी पैरवी नही कर पाए ! उनके सभी प्रयासों के बाद भी ना तो उनके विरोधयों की टिकट कटी ( राव नरवीर सिंह, डॉ अभय सिंह, लक्ष्मण यादव ) और ना ही उनके समर्थको को टिकट मिली ( रवि यादव बाबूजी,डॉ संजय मेहरा, मंजू यादव )!
अब इसे इलाके की जनता की एकजुटता की कमी कहें या राजनैतिक नेताओं की अक्षमता जो ये इलाका आज भी राजनैतिक पिछड़ेपन को झेलने को मजबूर है ! अब या तो यहां की जनता एकमत होकर किसी एक को अपना नेता चुने एवं उसको इतनी ताकत दे कि वो प्रदेश की चौधर इस इलाके को दिला सके या फिर हमेशा के लिए इस राजनैतिक पिछड़ेपन को झेलने को तैयार रहे !
- सतीश यादव