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तीन अक्टूबर से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ : हरेराम शास्त्री



इस वर्ष शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से प्रारम्भ हो रहा है। गुरुवार के दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल से लेकर संध्या काल तक है, विशेष कामना और पूजा पंडाल में कलश स्थापना का मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त )दिन में 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट के मध्य करें। आचार्य हरेराम शास्त्री ने बताया कि इस दिन भगवती दुर्गा के लिए केश संस्कार के साथ द्रव्य आदि अर्पित करें। द्वितीया तिथि 4 अक्टूबर को रात्रि 3 बजकर 10 मिनट तक है। तृतीया तिथि 5 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 4 बजकर 54 मिनट तक है।
चतुर्थी तिथि 6 अक्टूबर रविवार को पुरे दिन रात भोग कर रहा है जो अगले दिन सोमवार को प्रातः 6 बजकर 16 मिनट तक है। पंचमी तिथि सोमवार से शुरू होकर अगले दिन 8 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 7 बजकर 11 मिनट तक है। इसी दिन षष्ठी तिथि शाम में होने के कारण विल्वभिमत्रण किया जाएगा। पत्रिका प्रवेश, नेत्रोंमिलन, पंडाल में देवी दुर्गा का पट्ट खुलने का शुभ मुहूर्त 9 अक्टूबर दिन बुधवार को सुबह 7 बजकर 36 मिनट के बाद मूल नक्षत्र में संध्या काल के गोधूलि वेला में है, जो अगले दिन 10 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 29 मिनट तक है। महानिशा पूजा 10 अक्टूबर गुरुवार को रात्रि काल में है। महाष्टमी व्रत एवं हवन आदि कर्म 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को पुरे दिन किया जाएगा वहीं इसी दिन महानवमी व्रत भी किया जाएगा।

विजया दशमी 12 अक्टूबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा, इसी दिन अपराजिता पूजा, नीलकंठ दर्शन, जयंती ग्रहण, शमी वृक्ष का पूजा आदि किया जायेगा। विजया दशमी को अबूझ मुहूर्त होने से यात्रा, देशाटन, भूमि पूजन प्रतिष्ठान आरम्भ, क्रय विक्रय,के साथ साथ शुभ कार्य आरम्भ कर सकते है, इसे विजय मुहूर्त के नाम से भी जानते हैं। पंडाल से देवी दुर्गा का विसर्जन 14 अक्टूबर दिन सोमवार को करने का मुहूर्त है। नवरात में देवी का आगमन डोली से हो रहा है, जिसका फल अच्छा नहीं है। गमन चरण से युद्ध करने वाले पक्षी से हो रहा जिसका फल युद्ध के साथ साथ राष्ट्र द्रोह है।

*नवरात्र में माँ दुर्गा के लिए तिथियों के भोग* :- प्रतिप्रदा को गाय का घी, द्वितीया को शक़्कर, तृतीया को गाय का दूध, चतुर्थी को मालपुआ, पंचमी को केला, षष्ठी को मधु, सप्तमी को गुड, अष्टमी को नारियल, नवमी को धान का लावा, दशमी को तिल का लड्डू !!

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