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प्राचार्य कुर्सी को लेकर खींचतान से कॉलेज की प्रतिष्ठा दांव पर

प्राचार्य कुर्सी को लेकर खींचतान से कॉलेज की प्रतिष्ठा दांव पर

सहायक लेखाकार पर हमले के बाद से शुरू हुआ यह विवाद अब निलंबित प्राचार्य और कॉलेज समिति के बीच प्रतिष्ठा की जंग में बदल गया है। सहायक लेखाकार पर हमला कराने के आरोप में कॉलेज समिति ने 14 अगस्त को प्रो. पीयूष चौहान को प्राचार्य पद से निलंबित किया था। तब तक विवाद सहायक लेखाकार और निलंबित प्राचार्य के बीच रहा। इसके बाद वीसी ने निलंबन को रद्द कर बहाली के आदेश दिए तो समिति इसे टालती रही और पीयूष चौहान को कार्यभार नहीं सौंपा। इसके बाद से ही दोनों पक्षों के बीच खींचतान जारी है। एक पक्ष में निलंबित प्राचार्य प्रो. पीयूष चौहान हैं तो दूसरे पक्ष में प्रबंधन समिति और कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. संजय सिंह हैं। प्राचार्य कुर्सी के इस विवाद में कॉलेज की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

शिक्षकों और कर्मचारियों की तनख्वाह अटकी

इस विवाद के चलते शिक्षक-कर्मचारी आर्थिक संकट भी झेल रहे हैं। हर महीने एक हफ्ते के भीतर वेतन मिल जाता था, मगर जब से विवाद शुरू हुआ है 20 से 25 दिन की देरी से वेतन मिल रहा है। एक कर्मचारी ने बताया कि वेतन की फाइल तो बन गई है, मगर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय से पास नहीं हुई है। वहां से पास होने के बाद ही वेतन मिलेगा।

15 अक्तूबर को वीसी का बुलावा, 10 दिन के भीतर फैसला

हाईकोर्ट के आदेश के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की वीसी ने निलंबित प्राचार्य और कॉलेज समिति को नोटिस जारी कर 15 अक्तूबर को बुलाया है। इस दौरान दोनों पक्षों को सुना जाएगा और सबूतों को भी देखा जाएगा। इसी आधार पर निलंबन तथा बहाली पर फैसला होगा। ऐसे में 10 दिन के भीतर इस विवाद के खत्म होने की उम्मीद है।

कॉलेज में कोई भी काम रुकने नहीं दिया जाएगा। पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी जाएगी। जो भी समस्या होगी उसे हल किया जाएगा।

प्रो. संजय सिंह
कार्यवाहक प्राचार्य, एमएमएच

वीसी ने 15 अक्तूबर को दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए बुलाया है। सहायक लेखाकार पर हमला कराने और वित्तीय अनियमित्ता जैसे सभी आरोप बेबुनियाद हैं। इनसे मेरा कोई लेना-देना नहीं है।

प्रो. पीयूष चौहान
निलंबित प्राचार्य, एमएमएच

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