हमारे आदिवासी एरिये में न ही ढंग से विधालय चलते हैं। चलते भी हैं तो ना के बराबर क्योंकि अध्यापकगण सभी बाहरी क्षेत्रों से
हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या शिक्षा और स्वास्थ्य सबंधित हैं। शिक्षक समय नहीं आना और डाॅक्टर भी समय पर नहीं आते हैं और आते भी हैं तो ना के बराबर/ड्यूटी बजाकर चले जाते हैं। इनको बोलने वाला कोई नहीं हैं। यहाँ के जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं देते हैं और हमारे गाँव के जनप्रतिनिधि के पास आम लोग समस्या लेकर जातें हैं तो आश्वासन दिया जाता हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य में भी पार्टीपक्ष किया जाता हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य में पार्टीपक्ष क्यों। अगर आदिवासियों को ऊपर उठाना हैं तो यहाँ के जनप्रतिनिधियों को शिक्षा पर ध्यान आकर्षित जरूर करना चाहिए। आदिवासी इलाकों में बहुत सी समस्याएं आ रही हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहें हैं। जिससे आदिवासी इलाकों में शिक्षा का स्तर दिन बे दिन गिरता ही जा रहा हैं। अगर आदिवासियों को ऊपर ही उठाना हैं तो मेरे जनप्रतिनिधियों और शिक्षा विभाग से अनुरोध की आदिवासी इलाकों में बेहतर से बेहतर शिक्षा पर ध्यान देने की कोशिश करें और आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सबंधित समस्या भी ज्यादा पनप रहीं हैं जिससे हर लगभग तीस प्रतिशत लोग कम उम्र में मर रहें। 18 से 20 वर्ष के युवा शराब के आदि हो गयें हैं। आदिवासी इलाकों में सरकारी शराब बहुत नुकसान पहुंचा रहीं हैं। इसे बंद करें।