रतलाम के प्राचीन श्री द्वारकाधीश मंदिर में धूमधाम से मनाया : शरत्पर्व
शहर के मध्य चांदनी चौक के समीप सुनारों की गली में स्थित 305 वर्षों से भी अधिक प्राचीन श्री द्वारकाधीश मंदिर में
दिनांक 16 अक्टूबर बुधवार को शरद पूर्णिमा महोत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया।
श्री मुकेश पालीवाल ने बताया शरद पूर्णिमा का हिंदू परंपरा में विशेष महत्व है क्योंकि यह वर्ष का एकमात्र दिन है जब चंद्रमा अपनी पूर्ण महिमा में दिखाई देता है।
इस पर्व को बृज क्षेत्र में रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, यह उस रात की याद में मनाया जाता है जब भगवान श्री कृष्ण ने प्रेम का दिव्य नृत्य महा-रास किया था।
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चन्द्रमाँ सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
श्री भगवान द्वारकाधीश मंदिर परिसर में 16 कलाओं के नीचे खीर प्रसादी तैयार की गई और नियत समय पर भगवान श्री द्वारकाधीश की आरती कर भोग लगाया गया तथा प्रसादी का वितरण किया गया।