
बैतूल जिले में बेरोजगारी के चलते युवा कर रहे हैं पलायन, सत्ताधारी स्थानीय नेता नहीं दे रहे ध्यान।
बैतूल। जिले में रोजगार के साधनों के अभाव में आर्थिक तंगी झेल रहे युवा रोजगार की तलाश में दूसरे जिलों एवं राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। जिले के ग्रेजुएट युवा भारी संख्या में रोजगार की तलाश में अन्य जिलों एवं राज्यों में जाने को मजबूर है। शहर एवं गांव में कोई रोजगार ना होना, केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के रोजगार को लेकर किए वादे की पोल खोल रहा है। वहीं सरकार की स्वरोजगार योजनाएं खोखली साबित हो रही है। जिले के लोगों के पलायन करने की जानकारी जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को भी है, लेकिन उनके द्वारा भी जिले में रोजगार को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
ग्राम पंचायत में धांधली
ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के तहत लोगों को गांव में ही रोजगार देने का प्रावधान है, लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, सहायक सचिव मजदूरों से काम ना कराकर मशीनों से काम करा लेते हैं और मजदूर फिर से बेरोजगार होकर पलायन कर बाहर जाने को मजबूर हो जाते हैं।
स्थानीय नेताओं की दिलचस्पी न होना
बैतूल जिले में रोजगार को लेकर कई अवसर मौजूद है, लेकिन सत्ताधारी नेताओं की दिलचस्पी न होने के कारण जिले में लघु उद्योग एवं पर्यटन उद्योगों को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण युवाओं को दूसरे जिलों एवं राज्यों की ओर पलायन करना पड़ रहा है।
संदीप खातरकर आमला (समाजसेवक एवं आप युवा नेता)
बैतूल जिले में रोजगार की भारी कमी है। सारणी क्षेत्र में नई यूनिट के लिए भूमि पूजन हुआ है, लेकिन अभी तक इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। आमला में भी रेलवे कोच फैक्ट्री बनाने का सिर्फ सपना दिखाया जा रहा है। जिले में लघु उद्योग एवं पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि जिले के युवाओं को रोजगार मिल सकें।