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भगवान होते हैं या नही..!! दुष्टों को उनके दुष्कृत्य की सजा देते हैं या नही….!! सदियों से यह विवाद है…कोई आस्तिक है, कोई नास्तिक है…



पर कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो अहसास करा जाती हैं कि कोई तो सत्ता है जो न्याय करती है, समय की चक्की पीसती है तो बहुत ही महीन पिसाई करती है।

एक घटना- दिल्ली से सटे गाजियाबाद का निशा शर्मा को सब भूल गए होंगे, कुछ साल पहले निशा शर्मा को मीडिया ने रातों-रात पूरे भारत में हीरो बना दिया था जिसने दहेज लोभी पति को दरवाजे से वापस लौटा दिया था।


मीडिया को भूखे कुत्ते के समान न्यूज की बोटी मिल गयी..बक बक करने वाले न्यूज ट्रेडर्स निशा के दरवाजे पे माइक लेकर खड़े हो गए…हर चैनल पर मेहंदी लगाकर चुनरी ओढ़ कर निशा शर्मा इंटरव्यू देती थी उसके दरवाजे पर मीडिया के सैकड़ों ओ बी वैन खड़े रहते थे

अब इस केस में जिस लड़के से निशा शर्मा की शादी तय हुई थी, उसकी तरफ देखते हैं तो पाते हैं कि उसके और उसके पूरे परिवार की जिंदगी बर्बाद हो गई। लड़के की जॉब छूट गयी.. वो 1 साल जेल में रहा फिर 8 साल वह कोर्ट कचहरी के धक्के खाता रहा ..लड़के की मां सरकारी नौकरी में थी वह भी जेल जाने से सस्पेंड हो गई और लड़के के पिता हार्ट अटैक आने से इन सारे जंजालों से मुक्ति पा लिए…


अब तस्वीर का दूसरा रुख…. दरअसल निशा शर्मा ही चरित्रहीन थी, इसने अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने के लिए ही यह पूरा ड्रामा रचा था। यह बात कोर्ट में साबित हो गयी।

कोर्ट ने भी अपने आदेश में यही कहा कि निशा शर्मा ने जानबूझकर यह नोटंकी किया था लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि वह मजबूर है कि वह निशा शर्मा के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते और अंततः कोर्ट ने उस लड़के सहित उसके पूरे परिवार को बाइज्जत बरी कर दिया..पर उस लड़के के सुनहरे जवानी के 10 साल बरबाद हो गए, सारा परिवार बिखर गया…इसका इंसाफ ये कोर्ट नही कर सका।


लेकिन सोचिए दिल्ली से गाजियाबाद जाकर 8 साल तक मुकदमा लड़ना अपने पिता का दाह संस्कार करना उस लड़के के लिए कितना मुश्किल रहा होगा

पर इस न्यायालय से भी ऊपर एक न्यायालय है… वहां निशा शर्मा को कुदरत ने ही सजा दी

निशा खुद की सगी भाभी मनीषा शर्मा ने अपने पूरे ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न का केस किया और अब उस केस में अब निशा शर्मा और उसका पूरा परिवार जेल में है

ऊपर वाले ने उस लड़के को न्याय तो दिया लेकिन 13 साल के बाद दिया

इसलिए यदि भारतीय मीडिया किसी को हीरो की तरह पेश करें तब आप इमोशनल मत बनिए बल्कि शांति रखिए क्योंकि भारतीय मीडिया हमेशा नकारात्मक लोगों को ही हीरो बनाती है…

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