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स्त्री का सम्मान ही पुरुष की मर्यादा है: आचार्य बसंत शुक्ला जी महाराज

धर्मो रक्षति रक्षिता : आचार्य बसंत शुक्ला

कथा के षष्टम दिवस रुक्मिणी विवाह का प्रसंग
धनपतगंज सुलतानपुर
श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठवें दिवस को अयोध्या धाम से पधारे आचार्य बसंत शुक्ला जी महाराज ने कथा में कंस वध, गोपी उद्धव संवाद एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह का वर्णन बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ किया। पूज्य महाराज ने बताया कि सरल व्यक्ति कैसे आक्रामक व्यक्ति के रूप में बदल जाता है। भगवान कृष्ण अपने साथ में बांसुरी रखते थे।
बांसुरी की ध्वनि को सुनकर जड़ वस्तुएं भी चैतन्य स्वरूप में आ जाती थी, लेकिन बांसुरी से धर्म की रक्षा नहीं हो सकी क्योंकि दुष्ट और अधर्मी धर्म की नीति से या शास्त्र की नीति से या समझाने से नहीं समझते हैं। ऐसी स्थिति में प्रभु श्री कृष्ण को अस्त्र उठाना पड़ा। कहा भी गया है कि शस्त्र और शास्त्र दोनों आवश्यक है अगर हम धर्म की रक्षा करते हैं तो धर्म हमारी भी रक्षा करता है।
व्यास ने बताया कि जिम्मेदारी निभाने के लिए अपने प्राण तक त्यागने पड़ते हैं। स्वामी जी ने आगे बताया कि आज का समय कलयुग का है। मानव कल्याण इस युग में तभी संभव है जब मनुष्य भगवान की भक्ति में रमता है। लोक कल्याण का सबसे अच्छा साधन प्रभु की भक्ति हैं ।
कूरेभार के तिवारी पुर में सप्त दिवसीय श्री मद भागवत कथा इलाहाबाद किले में तैनात रहे मनीराम तिवारी जी के ग्रामीण आवास पर चल रही हैं
इस अवसर आचार्य नारायण दत्त दूबे, स्नातक संघ के प्रदेश मीडिया प्रमुख सुधांशु त्रिपाठी,भाजपा नेता राम महेश तिवारी, अध्यापक राम सुरेश , नितिन, संदीप, प्रेम दूबे सहित समस्त ग्रामवाशी उपस्थित रहे।

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