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कोड़ार पंचायत में सुरेश ने बजाई भ्रष्टाचार की बंशी !



उमरिया। मानपुर जनपद की कोड़ार पंचायत में भ्रष्टाचार की करमगाथा समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही है, जनपद में बैठे कमीशनखोरी के फेर में संरक्षण देने वाले जिम्मेदारों के कारण कोड़ार पंचायत का जिम्मा संभालने वाले तत्कालीन सरंपच सुरेश यादव और तत्कालीन सचिव बंशीलाल बैगा ने आपसी मिली भगत कर धरातल पर से निर्माण कार्य को ही निगल लिया और सरकारी खजाने में करारी चोंट दी। सरपंच और सचिव ने पंचायत विभाग से गॉव और नागरिकों के विकास को छोड़ अपने काली कमाई का जरिया बना लिया। सरकार भले ही आदिवासी क्षेत्र में विकास के दावों को लेकर गाल बजाती हो, लेकिन पंचायत के करिंदे अपने विकास पर भरोसा जताते हैं। और इनके कारस्तानी पर अंकुश लगाने वाले जिम्मेदार इन्हें संरक्षण देने का काम करते हैं।

सरकारी धन सीधे डकार गए तत्कालीन सरपंच व सचिव –

ग्राम पंचायत कोड़ार के छायन नाला में वर्ष 2021 में 10 लाख रूपये की लागत से स्टॉप डैम का निर्माण कार्य आदिवासी विकास परियोजना मद से स्वीकृत हुआ। लेकिन तत्कालीन सरपंच सुरेश यादव और तत्कालीन सचिव बंशीलाल बैगा द्वारा बगैर निर्माण और मूल्यांकन के ही जनजाती सघन बस्ती विकास योजना से निर्मित होने वाले स्टॉप डैम की राशि आहरित कर बंदर बांट कर लिया गया। दस लाख के निर्माण कार्य का दूर-दूर तक कोई निशां धरातल पर नहीं है। मजे की बात तो यह है कि निर्माण कार्य के मूल्यांकन का पता नहीं और राशि आहरित हो गई।

बाउण्ड्रीवॉल निर्माण के बिल से हुई स्टॉप डैम मजदूरी का भुगतान –

वहीं इनके कार्यकाल में कराए गए कई निर्माण कार्य या तो अधूरे हैं या फिर गुणवत्ताविहीन कराए गए और सरकार के खजाने से लूट मचाते हुए अपनी जेबें भर ली गई। यही नहीं मजदूरी के नाम पर भी फर्जी बिल लगाते हुए सरकारी धन का बंदरबांट किया गया। सरकारी खजाने से लूट मचाने का खाका तैयार करने वाले तत्कालीन सरपंच व सचिव के फर्जी बिल भुगतान का अनुपम उदाहरण यह है, कि शासकीय स्कूल की बाउण्ड्रीवॉल निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के नाम पर के बिल को स्टॉप डैम के मजदूरी का बिल लगाकर पंचायत की राशि आहरित की गई। यह कहना सही होगा की गॉव की सत्ता तय करने वाले नेता तत्कालीन सरपंच सुरेश यादव और तत्कालीन सचिव बंशीलाल बैगा ने पंचायत के भ्रष्टाचार से अपने विकास की दिवार खड़ी कर दी।

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