
13 सालों से नहीं हुए सेंट्रल कोऑपरेटिव के चुनाव लोकतंत्र की हो रही हत्या
जिला कोटा ###
13 सालों से नहीं हुए सेंट्रल कोऑपरेटिव के चुनाव लोकतंत्र की हो रही हत्या
✍️ राजेश खारडू
कोटा जिले में सहकारिता विभाग के केंद्रीय सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक का चुनाव हुए लगभग 13 वर्ष हो गए हैं। 13 वर्षों से चुनाव नहीं होने से लोकतंत्र की सरेआम हत्या होती नज़र आ रही है।
जी हां कोटा जिला सहकारी अध्यक्ष यूनियन के जिला अध्यक्ष बनेसिंह चंद्रावत ने मीडिया को बताया कि, कोटा जिले में पिछले लगभग 13 वर्षों से लगातार सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में प्रशासक लगा रखा है और उनकी मर्जी से सहकारी समितियां और सेंट्रल को- ऑपरेटिव बैंक चलता है। उनका कहना था कि यहां कोटा सेंट्रल को- ऑपरेटिव बैंक में चेयरमैन नहीं होने के कारण हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
वहीं उन्होंने बताया कि खाद कंपनियां खाद के साथ अन्य अटैचमेंट देते है और वही अटैचमेंट जब किसान को देते हैं तो किसान अन्य कोई अटैचमेंट लेना पसंद नहीं करते। किसान खाद बिना किसी अन्य अटैचमेंट लेना चाहते है, लेकिन खाद कंपनिया बिना अटैचमेंट के समितियों को खाद ही नहीं देती। इस गंभीर समस्या से जिला कलैक्टर को भी कई बार अवगत करवाया गया है। जिले आमसभा में भी यह समस्या उठाई गई थी, लेकिन समस्या के समाधान का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
श्री चंद्रावत ने बताया कि विगत वर्ष हमने खाद मंगवाई थी। खाद कम्पनी द्वारा हमारी समिति में खाद की गाड़ी भेजी गई, लेकिन खाद के साथ बहुत ज्यादा मात्रा में अन्य अटैचमेंट भी साथ भेजा गया। जब मैंने इसके लिए उच्चाधिकारियों से बात की तो मुझे कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिला। इसको देखते हुए मैंने हमारी समिति से वह खाद की गाड़ी ज्यों की त्यों वापस भेज दी।
उसके बाद इफको कम्पनी ने तो हमें खाद देना ही बंद कर दिया है, जबकि हम इफको कम्पनी के सदस्य भी हैं। श्री चंद्रावत ने इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक लालाराम चौधरी पर आरोप लगाते हुए बताया की लालराम चौधरी अपनी दादा गिरी करता है। लालाराम चौधरी ही तय करता है कि किसको, कब ओर कितना खाद दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्षों से कोटा जिले में कुंडली मारकर बैठा है लालाराम चौधरी।
श्री चंद्रावत ने बताया कि जब कम्पनी के अन्य स्टाफ का ट्रांसफर हो सकता है, तो इसका अभी तक ट्रांसफर क्यों नहीं किया गया, क्योंकि ये राजनेताओं और अधिकारियों का कमाऊ पूत है। इसी वजह से हमारी कोई शिकायत नहीं सुनता। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कोटा में इफको कम्पनी के क्षेत्रीय प्रबंधक लालाराम चौधरी जो कि बहुत ज्यादा भ्रष्ट है और उन्होंने कहा कि, देखना एक दिन इसका खामियाजा भी वो ख़ुद ही भुगतेगा।
श्री चंद्रावत ने कहा कि हमें जनता ने समिति के विकास के लिए जनप्रतिनिधि बनाया है और हम समिति हित के लिए कुछ भी करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा प्रथम कर्तव्य हैं कि इन किसानों ओर सहकारी समिति हित में आवाज उठाना और हम आवाज उठा रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे। इसके लिए हम कोटा जिले की सभी सहकारी समितियों के अध्यक्ष एक हैं और जहां तक हो सकता है वहां तक इन किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।
श्री चंद्रावत ने बताया कि सरकार एक तरफ़ जहां किसानों की आय दोगुना करने की बात कही रही है वहीं दूसरी ओर इन कंपनियों का ऐसा रवैया जो, आय दोगुना को तो छोड़ो, जो आय हो रही है उसमें भी कमी होती नज़र आ रही है। जब तक खाद कम्पनियां किसानों को खाद के साथ अन्य अटैचमेंट ऐसे ही थोपेगी इससे किसानों का समय ओर पैसा दोनों व्यर्थ हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर अभी की बात करें तो अभी समितियों को खाद ही नहीं मिल रहा है इससे किसानों की क्या दूरदसा है, ये तो हम भली भांति जानते हैं। एक तरफ खाद की किल्लत दिखा कर, इन प्राइवेट दुकानदारों के वारे न्यारे कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि जो डीएपी का बैग समिति में साढ़े पंद्रह सौ रुपए का मिलता है, उसे मार्केट में प्राइवेट दुकानदार साढ़े अठारह सौ रुपए में या उससे भी अधिक रेट में बेच रहे हैं और जो यूरिया का बैग 267 रुपए का है, वो यूरिया का बैग 350 रुपए का प्राइवेट दुकानदारों द्वारा बेचा जा रहा है। किसान को मजबूरन वहां से खाद लेना पड़ रहा है। अब बेचारे किसान की पीड़ा कोन समझेगा, क्योंकि ये बड़े अधिकारी/कर्मचारी तो अपनी- अपनी जेब भरने में लगे हैं। इनको किसान ओर खेती से क्या मतलब है।
श्री चंद्रावत ने बताया की कहने को तो खाद बेचान की प्राथमिकता सहकारी समितियों को है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सहकारी समितियों को मिलने वाले खाद का 90 प्रतिशत तो ये प्राइवेट दुकानदारों को दे रहे हैं, बाकी बचा 10 प्रतिशत जो कि ये लोग सहकारी समिति को देते हैं। जबकी किसानों का लगाव सहकारी समितियों में है।
उन्होंने कहा कि ये मामला छोटे लेवल का नहीं है, इस मामले में उच्च लेवल की भी मिलीभगत है। इस लिए तो धड़ल्ले से बे खौफ खाद की कालाबाजारी हो रही है, जो बहुत ज्यादा गलत हैं। श्री चंद्रावत ने कहा कि जब प्राइवेट दुकानदारों को यूरिया डीएपी पूर्ति की जा रही है, तो क्या ये किल्लत सिर्फ सहकारी समितियों के लिए ही दिखा रहे हैं?।
उन्होंने बताया कि इसको लेकर कोटा, जयपुर सहित दिल्ली तक सभी को बहुत बार अवगत करवाया गया है, लेकिन सरकार ओर विभाग के कानों तले जू तक नहीं रेंगी। इस अटैचमेंट को लेकर इतना कुछ किया गया, लेकिन ये अधिकारी/कर्मचारियों भी टस से मस नहीं हुए।
श्री चंद्रावत ने बताया अटैचमेंट बंद नहीं किया गया तो, हम आन्दोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा की खाद कम्पनिया और अधिकारी किसान ओर समितियों को डुबाने में लगे हुए है। अगर सहकारी समितियों में खाद नहीं आएगा तो किसानों को उचित मूल्य में खाद कहा से मिलेगा।
श्री चंद्रावत ने कहा कि अगर सहकारी समिति में कोई व्यापार ही नहीं होगा तो समिति कर्मचारियों को वेतन कहा से मिलेगा। समिति कर्मचारियों को वेतन सरकार तो देती नहीं है, समितियों में कोई भी व्यापार करके इन कर्मचारियों को अपना वेतन निकलना होता है। उन्होंने कहा कि अगर इनका शोषण ऐसे ही चलना है तो सरकार इन बेचारे समिति कर्मचारी को अपना कर्मचारी बना दे और इनका वेतन वहन करे। ताकि ऋण के अलावा बिना किसी अन्य व्यापार के इन कर्मचारियों का वेतन निकलना ना मुमकिन है। श्री चंद्रावत ने कहा की अगर रसद विभाग पीडीएस का कार्य (राशन की दुकान) प्राथमिकता से सहकारी समिति को दे तो समिति कर्मचारियों को वेतन लेने में सहायता मिलेगी।