
होली हिंदुओं का ऐसा पर्व है ,जिसकी प्रतीक्षा हम बसंत पंचमी से करते हैं
होली हिंदुओं का ऐसा पर्व है ,जिसकी प्रतीक्षा हम बसंत पंचमी से करते हैं ।मुख्य रूप से होली बसंत का ही उत्सव है। बासंती बयार बहती है ,तब मन मादक होकर फाल्गुनी बयारों में समाहित हो जाता है।
होली फागुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली के इतिहास एवं परंपराओं के बारे में अनेक कथाएं एवं मान्यताएं हैं। होली को वसंत का महोत्सव और काम महोत्सव जैसे नाम से भी जाना जाता है ।
होली मुख्यतः हिंदुओं का पर्व है।
रंगों का पर्व कहा जाने वाला यह त्यौहार प्रमुख रुप से दो दिनों तक मनाया जाता है, परंतु इसकी धूम रंग पंचमी तक रहती है।
प्रमुख रूप से भारत एवं नेपाल में मनाया जाने वाला यह पर्व है ।होली पर्व के पीछे महत्वपूर्ण अनेक कहानियां है ,उसमें सबसे महत्वपूर्ण भक्त प्रहलाद की कहानी है। कहा जाता है कि भक्त प्रहलाद का पिता हिरण्यकश्यप एक दुष्ट अहंकारी और बलशाली असुर था, अपने आप को ईश्वर मानने लगा था उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था। प्रहलाद की ईश्वर भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे अनेक प्रकार के कठोर दंड दिए ,परंतु उसने ईश्वर की भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान मिला था कि वह एक चुनरी पहन कर बैठने पर आग में जल नहीं सकती थी, चुनरी ओढ़ कर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर बैठ गईऔर हिरण्यकश्यप ने आग प्रज्वलित कर दी।
हवा के वेग से वह चुनरी होलिका के ऊपर से उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई जलकर होलिका भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया ।
ईश्वर भक्त प्रहलाद की जीत की ,बुराई पर अच्छाई की और विजय के उपलक्ष में यह होली पर्व मनाया जाता है ।
कुछ लोगों का मानना है कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था इसी खुशी में गोपियों और ग्वाल बालों ने रासलीला की और रंगोत्सव मनाया था ।
ब्रजभूमि में वृंदावन में होली की अनुपम छटा बिखरती है राधा कृष्ण की होली देखने लाखों लोग यहां पर आते हैं ।
पहले दिन हमारे यहां होली का दहन होता है, सभी एकत्रित होकर होली का पूजन करते हैं एवं होली में गाय के गोबर के उपले नारियल आदि होलिका को भेंट करते हैं। सर्वप्रथम महादेव को गुलाल अर्पित कर एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं। दूसरे दिन जिसे धुलेरी या धुलेड़ी या धुलि वंदन कहा जाता है, मनाते हैं ।
सुबह से ही लोग टोलियां बनाकर ढोल और नगाड़ों के साथ इष्ट मित्रों के घर जाकर रंग और गुलाल लगाते हैं पुरानी कटुता को भुलाकर एक दूसरे को गले लगाकर पुनः दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं और मिठाई खिलाते हैं ।
राग और रंग का यह पवित्र पर्व वसंत का संदेश वाहक है। राग यानी संगीत और रंग ही इसके प्रमुख अंग हैं। इसका साथ देती है प्रकृति ,फाल्गुनी मादक बयारों के साथ यह भी यौवन की चरम सीमा पर होती है ।
वसंत पंचमी में गुलाल उड़ाया जाता है और महादेव पर अर्पित होता है। फाग के गीत गाए जाने लगते हैं। खेतों में सरसों खिल उठती है ,गेहूं की बाली इठलाने लगती है ,बाग बगीचों में पुष्प महक उठते हैं ।
सभी उम्र के लोग ढोल और मंजीरों के साथ नृत्य करते हैं । होली का प्रमुख पकवान गुजिया होता है ,और इसके साथ अनेक मिष्ठान भी बनाए जाते हैं यह त्यौहार अधिकतर पूर्वी भारत में मनाया जाता है।
संस्कृत साहित्य में वसंत ऋतु अनेक कवियों की प्रिय विषय रही है। टेसू की तो बहार ही रहती है। पहले टेसू के फूलों का रंग बनाकर ही होली मनाई जाती थी ।
सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलीकोत्सव का वर्णन किया है । मुगल कालीन इतिहास में अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है।
मध्ययुगीन साहित्य में कृष्ण लीलाओं में होली का विस्तृत वर्णन है।
फागुन पूर्णिमा के पूर्व में पड़ने वाली एकादशी को मंदिरों में राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक स्वरूप फूलों की होली खेली जाती है।
कालिदास रचित ऋतुसंहार में पूरा एक सर्ग ही वसंत उत्सव को अर्पित है ।महाकवि सूरदास ने भी वसंत एवं होली पर 78 पद लिखे हैं ।
समय के साथ सब कुछ बदल रहा है होली के रंगों में पिचकारियों में भी तकनीकी प्रभाव देखने मिल रहा है । पहले रंग गुलाल घर पर जाकर लगाते थे,बड़ों का चरण स्पर्श का आशीष पाते थे ,परंतु आज व्हाट्सएप पर ही शुभकामनाएं प्रेषित कर देते हैं। आधुनिकता ने रिश्तों के माधुर्य को समाप्त कर दिया है ।आजकल होली को अपनी शत्रुता को भंजाने का माध्यम भी बनाते हैं तभी हमारी सुरक्षा व्यवस्था में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं।पूरा प्रशासन लगा रहता है।अनेक लोग रंगों में मिलावट कर लगाते हैं जिससे त्वचा जनित रोग उत्पन्न हो जाते हैं ।
अपने रिश्तों को होली के माध्यम से प्यार से सींचते रहिए ,सबकी हंसी बरकरार रहेगी एक दिन भूल जाइए सब रुआंसे हो जाएंगे मुर्दनी छा जायेगी, जीने के लिए अपेक्षा पराश्रित होने की नहीं आत्माश्रित होने की है ।
इस होली आईए हम सब स्वच्छता मिशन के सहभागी बनें ।स्वच्छ सागर की मुहिम में योगदान दें ।विकसित भारत के सहयोगी बने ।
होली में गंदगी ना फैलाएं, रंगों गुलालों की होली मनाएं ।कटुता को भूल विनम्रता के पोषक बने । स्नेह, प्रेम, त्याग की धवल पताका फहरायें।
होली की हार्दिक बधाइयां।
- डॉ. चंचला दवे
कवयित्री, लेखिका
स्टेट बैंक कॉलोनी
तिली रोड
सागर मध्य प्रदेश
94254 37016