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उल्लास और उमंग का उत्सव - "होली"

होली के रंग उत्साह और उमंग के प्रतीक है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत कुछ चाहिए होता है, लेकिन यदि उल्लास और उमंग न हो तो बहुत कुछ होते हुए भी जीवन नीरस हो जाता है। रंगों से सराबोर होकर हम केवल आनंद का अनुभव ही नहीं करते, बल्कि उसकी महत्ता को भी समझने में समर्थ होते हैं। रंग हमारे जीवन की नीरसता को दूर करते है और नीरसता को दूर करने के लिए जिस आयोजन की आवयश्कता होती है वह हैं- होली।
हर त्यौहार की अपनी कुछ खास विशेषताएं होती है जो खान-पान से लेकर धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठान से जुड़ी होती है, लेकिन सबसे प्रमुख होती है उल्लास की अनुभूति। होली का यह त्यौहार इसी उल्लास और उमंग का संचार करने के साथ यह भी बताता है कि खुशियां बांटने से ही बढ़ती हैं।
होली के अवसर पर घर गांव से दूर रहने वाले नौकरीपेशा लोग आज भी अपने गांव और मूल स्थान पहुंचने की संपूर्ण कोशिश करते हैं। अपनों के बीच इस उत्साह और उमंग का त्यौहार मनाने का अपना एक अलग ही आनंद होता है। छोटे-बड़े, ऊंच- नीच, अमीर- गरीब आदि के नकली घरौंदे से बाहर निकलकर लोग अपने स्वाभाविक जीवन जीने को तैयार होते हैं। वे खुशी- खुशी एक दूसरे से मिलते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं। हालांकि समय के साथ-साथ इस उत्सव को मनाने के तौर तरीकों में बदलाव भी आते रहे हैं।

विशेष खत्री, झाँसी

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