
आईए जानते हैं, बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी एनडीए ने कौन-कौन से चुनावी वादे अभी तक पूरे नहीं किए हैं
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रिपोर्ट्स: बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने कई चुनावी वादे किए हैं, खासकर 2020 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद के समय में। इनमें से कुछ वादे पूरे हुए हैं, कुछ पर काम चल रहा है, लेकिन कई ऐसे भी हैं जो अभी तक अधूरे हैं। इस लेख में नीचे कुछ प्रमुख अधूरे वादों की सूची दी जा रही है, जो जनता की शिकायतों, विपक्ष के आरोपों और उपलब्ध जानकारी पर आधारित है:
1. 10 लाख सरकारी और 10 लाख निजी नौकरियों का वादा
वादा: 2020 के चुनाव में एनडीए ने "सात निश्चय पार्ट-2" के तहत 10 लाख सरकारी नौकरियाँ और 10 लाख निजी क्षेत्र में रोज़गार के अवसर देने का दावा किया था। ये वादा बीजेपी ने तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरियों के वादे का जवाब देने के लिए किया था।
हकीकत: सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई है, जैसे शिक्षक भर्ती (बीपीएससी के तहत 1.5 लाख से ज़्यादा पद भरे गए), लेकिन 10 लाख का आंकड़ा अभी दूर है। निजी क्षेत्र में रोज़गार सृजन के लिए उद्योगों को बढ़ावा देने का दावा किया गया, पर ठोस आंकड़े या बड़े निवेश की कमी दिखती है। विपक्ष इसे "जुमला" कहकर तंज कसता है।
2. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा
वादा: नीतीश कुमार ने कई बार केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा माँगा, और एनडीए के साथ गठबंधन में इसे बार-बार उठाया। बीजेपी ने भी 2014 और बाद के चुनावों में इसकी चर्चा की थी।
हकीकत: केंद्र सरकार ने इसे खारिज कर दिया है। नीतीश और बीजेपी के बीच गठबंधन होने के बावजूद यह माँग पूरी नहीं हुई। विशेष पैकेज मिले, लेकिन पूर्ण दर्जा नहीं, जिसे विपक्ष "धोखा" कहता है।
3. औद्योगिक विकास और निवेश
वादा: एनडीए ने बिहार को औद्योगिक हब बनाने और बड़े पैमाने पर निवेश लाने की बात कही थी। नीतीश की "सात निश्चय" योजना में भी उद्यमिता को बढ़ावा देना शामिल था।
हकीकत: बिहार में बड़े उद्योगों की स्थापना या निवेश की रफ्तार धीमी रही। बिहार बिजनेस समिट जैसे आयोजन हुए, लेकिन बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियाँ या रोज़गार सृजन नहीं दिखा। बिहार अभी भी कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है।
4. बाढ़ और सूखे का स्थायी समाधान
वादा: नीतीश और बीजेपी ने बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ और सूखे की समस्या को हल करने के लिए बड़े ढांचागत प्रोजेक्ट्स का वादा किया था, जैसे कोसी और गंगा पर बेहतर नियंत्रण।
हकीकत: बाढ़ प्रबंधन में कुछ काम हुआ, जैसे तटबंधों की मरम्मत, लेकिन हर साल बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं। 2023 और 2024 में भी बाढ़ ने भारी नुकसान किया, जिससे स्थायी समाधान की कमी साफ दिखती है।
5. शिक्षा और स्वास्थ्य में गुणवत्ता सुधार
वादा: "सात निश्चय" में स्कूलों और अस्पतालों में सुधार का वादा था। बीजेपी ने भी डबल इंजन सरकार के तहत बेहतर सुविधाओं का दावा किया।
हकीकत: स्कूलों की संख्या और शिक्षक भर्ती बढ़ी, लेकिन गुणवत्ता (जैसे शिक्षकों की ट्रेनिंग, बुनियादी सुविधाएँ) में कमी बनी हुई है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी अस्पतालों की हालत खराब है—डॉक्टरों और उपकरणों की कमी की शिकायतें आम हैं। कोविड के बाद भी हालात सुधरे नहीं।
6. शराबबंदी का प्रभावी कार्यान्वयन
वादा: नीतीश ने 2015 में शराबबंदी को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया और इसे लागू किया। एनडीए ने इसे सख्ती से लागू करने का दावा किया।
हकीकत: अवैध शराब का कारोबार जारी है। 2021-22 में जहरीली शराब से सैकड़ों मौतें हुईं, और 2024 तक भी ये समस्या बनी हुई है। इसे नीतीश की सबसे बड़ी नाकामी माना जाता है।
7. स्मार्ट सिटी और पटना का विकास
वादा: पटना को स्मार्ट सिटी बनाने और बिहार के शहरों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का वादा किया गया था।
हकीकत: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में प्रगति धीमी है। पटना में सड़कें, ड्रेनेज और ट्रैफिक की समस्या जस की तस है। अन्य शहरों में भी खास बदलाव नहीं दिखा।
8. किसानों की आय दोगुनी करना
वादा: बीजेपी का राष्ट्रीय वादा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होगी, और बिहार में नीतीश ने भी इसे दोहराया।
हकीकत: बिहार के किसानों की स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बिचौलियों की समस्या बरकरार है। कृषि सुधारों का असर ज़मीन पर कम दिखता है।
हालांकि, नीतीश और बीजेपी गठबंधन ने सड़क, बिजली और महिला सशक्तिकरण (जैसे साइकिल योजना, जीविका समूह) में कुछ सफलता हासिल की है, जिसे वे अपनी उपलब्धि बताते हैं। लेकिन ऊपर दिए गए वादे उनके घोषणापत्रों और भाषणों के बड़े दावे थे, जो जनता की नज़र में अधूरे हैं।
विपक्ष (RJD, कांग्रेस) इन मुद्दों को उठाकर सरकार पर हमला करता है, खासकर बेरोज़गारी, बाढ़ और शराबबंदी जैसे संवेदनशील मामलों पर।
आपको इनमें से कौन सा वादा सबसे ज़्यादा अधूरा लगता है? कमेंट में अपनी राय दें..