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लोक आस्था का महापर्व चैती छठ: भक्ति और आस्था का संगम, आज नहाए खाए से शुरू।


लोक आस्था का महापर्व चैती छठ आज से शुरू हो गया है। चार दिन तक चलने वाला यह पर्व शहर और गांवों में भक्तिमय माहौल पैदा कर चुका है। गंगा समेत प्रमुख नदियों में श्रद्धालु डुबकी लगाकर पवित्र हो रहे हैं। छठ पर्व की पूरी तैयारी हो गई है और व्रती कठोर उपवास रखकर पूजा-अर्चना करेंगे।आज नहाय-खाय की परम्परा से सभी व्रतियों ने छठ पर्व की शुरुआत कर दी है,जिसमें व्रती घी में बनी कद्दू और भात ग्रहण कर व्रत की शुरुआत कर दी। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व का अनुष्ठान अब शुरू हो गया है, और शहर-गांवों में श्रद्धा का माहौल बन चुका है।विभिन्न शहर और गांव के सभी घाटों की सफाई अंतिम चरण में है, और प्रशासन पर्व को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। बाजारों में पूजन सामग्री की दुकानें सज चुकी हैं, और छठ पर्व को पारंपरिक तरीके से मनाने की तैयारी हो रही है। गांव और शहर की गलियों में छठ गीतों की गूंज सुनाई दे रही है, जबकि मोबाइल, टीवी और ऑडियो सिस्टम से छठ गीत बज रहे हैं। पूरा वातावरण भक्तिमय हो चुका है।

छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, एक बार चैत्र मास में और दूसरी बार कार्तिक मास में। चैत्र मास में मनाया जाने वाला पर्व चैती छठ कहलाता है,जो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक चलता है। इस बार चैती छठ 1 अप्रैल से 4 अप्रैल तक मनाया जा रहा है। शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 2 अप्रैल को रात 11.49 बजे से शुरू होकर 3 अप्रैल को रात 9.41 बजे तक रहेगी। 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को और 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ व्रत समाप्त होगा।

यह पर्व सूर्य देव और षष्ठी माता को समर्पित होता है, जिसमें व्रती कठोर उपवास रखते हैं और पूजा में विशेष विधियों का पालन किया जाता है। प्रसाद पूरी शुद्धता और सात्विकता से तैयार किया जाता है, जिसमें नई फसल से बने गेहूं, चावल, गन्ना और ताजे फल शामिल होंगे। ठेकुआ, खीर और गन्ने का रस पूजा में अर्पित किया जाएगा, जबकि माता पूजन के लिए बांस का सूप, नारियल, अदरक, हल्दी, मूली, नींबू और अन्य फल जरूरी होते हैं। इस बार नई फसल से प्राप्त सामग्री से पूजन और भी पवित्र होगा। इस पर्व को निक्की कुमारी, रीना देवी, रूबी कुंवर, इत्यादि के साथ सैकड़ों व्रती नहाए खाए कर छठ का शुरुआत की है।

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