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फंगस से एंजाइम खोज कर वैज्ञानिक बनीं सलेमपुर की डॉ. कंचन यादव

फंगस से एंजाइम खोज कर वैज्ञानिक बनीं सलेमपुर की डॉ. कंचन यादव, कृषि, खाद्य और दवा उद्योग में मिलेगा बड़ा लाभ

उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद के सलेमपुर तहसील अंतर्गत चौरिया गांव की बेटी डॉ. कंचन यादव ने वैज्ञानिक क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर क्षेत्र और जिले का नाम रोशन किया है। डॉ. कंचन ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से किए गए शोध में एक ऐसे महत्वपूर्ण एंजाइम की खोज की है, जो खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और दवा उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इस एंजाइम का नाम है पेक्टिन लाइएज जिसे उन्होंने फ्यूजेरियम नामक एक फंगस (कवक) से प्राप्त किया है।

शोध के दौरान डॉ. कंचन और उनकी टीम ने यह पाया कि पेक्टिन लाइएज नामक यह एंजाइम पेक्टिन को तोड़ने की क्षमता रखता है। पेक्टिन एक प्राकृतिक पदार्थ है जो फलों और सब्जियों की कोशिकाओं में पाया जाता है। यह एंजाइम विशेष रूप से जूस इंडस्ट्री में बेहद उपयोगी साबित हो सकता है, क्योंकि यह फलों के रस को और अधिक स्वादिष्ट, पारदर्शी और गुणवत्ता से भरपूर बनाता है। इसके अलावा, इसका उपयोग कपड़ा उद्योग, कागज निर्माण और जैव ईंधन के उत्पादन में भी किया जा सकता है।

इस शोध की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एंजाइम जैविक कीटनाशकों के विकास में भी सहायक हो सकता है। इससे खेती को अधिक सुरक्षित, पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि इस एंजाइम का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन किया जाए, तो यह भारतीय कृषि और खाद्य उद्योग में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

डॉ. कंचन यादव की इस उपलब्धि पर उनके परिवार और क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है। उनके पिता अनिल यादव ने बेटी की इस सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि यह पूरे गांव और जिले के लिए गर्व की बात है। वहीं, उनके चाचा और भाजपा नेता अवधेश यादव ने बताया कि कंचन बचपन से ही वैज्ञानिक बनने का सपना देखती थीं और लगातार मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।

इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई देने वालों की भी लंबी सूची है। भाजपा किसान मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी अजय दुबे वत्स, संदीप यादव, राजीव वर्मा, अमित गुप्ता, धर्मेन्द्र पांडेय, बीरबल यादव, पुनीत यादव, अभिषेक जायसवाल, आदित्य कुमार और पुष्पराज यादव सहित अनेक लोगों ने डॉ. कंचन को शुभकामनाएं दी हैं।

डॉ. कंचन यादव की यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक जगत में सराही जा रही है, बल्कि यह उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया करने का सपना देखते हैं। गांव की बेटी ने यह साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों और मेहनत सच्ची हो, तो किसी भी क्षेत्र में बुलंदियों को छूना नामुमकिन नहीं है। विज्ञान के क्षेत्र में उनका यह योगदान आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास में अहम भूमिका निभा सकता है।

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