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पशुपालक गायों एवं भैसों को गर्मी के दुष्प्रभावों से बचाने हेतु अनुकूल आहार एवं आवास व्यवस्था आवश्यक

वल्लभनगर । वेटरनरी महाविद्यालय, नवानिया, वल्लभनगर के अधिष्ठाता डॉ शिव शर्मा ने बताया कि प्रदेश में गर्मी का मौसम पशुपालकों के लिए कई चुनौतियां लेकर आता है। सामान्यतया गर्मियों मे पशुओं की आहार ग्रहण करने की क्षमता घट जाती है जिससे न केवल दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन गिरने लगता है अपितु बिमार होने की संभावना भी बढ़ जाती है। पशुओं का गर्मी से बचाव और विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। वातावरण के बढ़ते तापमान और लू चलने से पशुओं में उत्पादन कम होने और बीमारियों का अंदेशा रहता है। अत: पशुपालकों को सजग रहते हुए अपने पशुओं को गर्मी से बचाने एवं उनके संतुलित आहार की व्यवस्था करनी चाहिए। गायों एवं भैसों की गर्मी की ऋतु में समुचित देखभाल करके इन्हें बिमारियों से बचाकर उत्पादन को बनाये रखा जा सकता है। डॉ शर्मा ने बताया कि गर्मियों में तेज धूप और लू से पशुओं को बचाने के लिए पशुशाला में खस या जूट के बोरे का पर्दा लगाकर पानी छींटते रहना चाहिये। पशुशाला में भीड़ भाड़ नहीं हो तथा सभी पशुओं के लिए आवश्यक स्थान की व्यवस्था रहनी चाहिए। साथ ही हवा की आवाजाही की व्यवस्था रहे। पशुशाला के आस पास छायादार वृक्षों की मौजूदगी से पशुशाला के तापमान को कम रखा जा सकता है। पशुओं के आहार में दाना एवं हरे चारे की व्यवस्था कर गर्मी के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। पशु आहार में जौ की पर्याप्त मात्रा आवश्यक है। गर्मी के दिनों में पशु को दाने के रूप प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा रहनी चाहिए। ताजा बियाये पशुओं को कैल्शियम सप्लीमेंट देना चाहिए। जिससे पशु का दुग्ध उत्पादन सामान्य बना रहता है। पशुओ हेतु पर्याप्त मात्रा मे स्वच्छ ताजा पीने का पानी हमेशा उपलब्ध होना चहिये। पीने के पानी को छाया में रखना चाहिये। पशुओं से दूध निकालनें के बाद पानी पिलाना चाहिये। पशुओं का इस मौसम में गलाघोंटू , खुरपका मुंहपका , लंगड़ा बुखार आदि बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूर कराना चाहिये। टीकाकरण से पूर्व कृमिनाशक दवाई देना उचित रहता है।

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