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सरस्वती विद्या मंदिर में महावीर जैन की जयंती मनी

गढ़वा/श्री बंशीधर नगर दिनांक 10 4025 स्थानीय सरस्वती विद्या मंदिर श्री बंशीधर नगर में जैन धर्म के 24 में तीर्थंकर महावीर जी का जयंती मनाया गया इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सगमा एसबीआई के जनार्दन प्रसाद व प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने भारत माता, ओम, मां शारदे एवं भगवान महावीर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन किया। प्रधानाचार्य रविकांत पाठक ने भैया बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उन्होंने हमें अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह का मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उनका संदेश है कि हमें सभी जीवों के प्रति दया और प्रेम रखना चाहिए। उनके उपदेश हमें सिखाते हैं कि सादा जीवन जीकर सच्चे सुख की प्राप्ति हो सकती है। इस अवसर पर भैया अर्णव पांडे ने भी भगवान महावीर के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए भाषण दिया। आचार्य नीति कुमारी ने अपने बौद्धिक में बताया कि यह दिन भगवान महावीर को श्रद्धांजलि देने और उनकी शिक्षाओं को याद करने का है। भगवान महावीर को जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता है। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडग्राम में हुआ था। उन्होंने 30 साल की उम्र में संन्यास ले लिया और 12 साल की कठोर तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। वह शांति, अहिंसा और सत्य के प्रतीक माने जाते हैं. उनके जीवन और उपदेशों ने समाज में सच्चे धर्म और सद्गुणों को फैलाया है। जैन मुनि पाँच मुख्य व्रत लेते हैं: अहिंसा (अहिंसा), सत्य (सत्य), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (पवित्रता), और अपरिग्रह (अपरिग्रह)। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जनार्दन प्रसाद ने अपने उद्बोधन में कहा कि यहां आकर जयंती में भाग लेकर बहुत अच्छा लगा हम सभी को भी भगवान महावीर के आदर्शों पर चलना चाहिए और अपना जीवन सफल बनाना चाहिए। इस अवसर पर विद्यालय के सभी आचार्य एवं दीदी जी उपस्थित थे।

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