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बीआरसी शालावार पाठ्य पुस्तक न भेजकर जेएसके से करवा रहे वितरित,डीपीसी भी मौन

शासन के निर्देश की उड़ाई जा रही धज्जियां

खबर मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से-----
खैरलांजी। बीआरसी एस.एल.भगत द्वारा जनशिक्षकों और संकुल प्राचार्यों पर दबाव बनाकर नियम विरुद्ध जनशिक्षा केन्द्र से नये शिक्षण सत्र की पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया जा रहा है। जबकि नियम है कि प्रथम और द्वितीय बार की किताबों का वितरण शालावार जाकर किया जाना चाहिए। प्रधान पाठक और शिक्षक भी बीआरसी और जनशिक्षकों के आदेश का पालन करते हुए जनशिक्षा केन्द्र पहुंच कर स्वयं के व्यय पर किताबें लेकर जाने को मजबूर है। यहां मजबूरी कहे या फिर कुछ और कारण कोई भी प्रधान पाठक या शिक्षक बीआरसी के इस आदेश का खुलकर विरोध नही कर रहे है। आदेश के बाद प्रधान पाठक जन शिक्षा केन्द्र आरंभा में किराया का वाहन या स्वयं के वाहन में किताबें लेकर जा रहे हैं। इसी प्रकार जन शिक्षा केन्द्र भेण्डारा में भी प्रधान पाठक जन शिक्षा केन्द्र से किताबें लेकर जा रहे हैं।

डीपीसी भी मौन

वहीं डीपीसी भी मामला संज्ञान में आने के बाद एक्शन लेने के मूड में नही दिख रहे है। मोबाईल फोन द्वारा मामला उनके संज्ञान में लाने के बाद भी न उनके द्वारा जन शिक्षा केन्द्र का जायजा लिया गया और न ही शाला जाकर वस्तु स्थिति से अवगत हुए। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि डीपीसी भी इस मामले को रद्दी की टोकड़ी में डाल देना चाहते है। किसी तरह की जांच नही होने से बीआरसी के हौसले है कि साल दर साल बढ़ते ही जा रहे है। विगत वर्ष भी बीआरसी द्वारा विलम्ब से किताबें शाला भिजवाई गई थी साथ ही शालावार न भेजते हुए जन शिक्षा केंद्रवार किताबों का वितरण करवाया गया था। लेकिन तत्कालीन अधिकारियों द्वारा भी मामला रद्दी की टोकड़ी में डाल दिया गया था। जानकार बताते है कि मामला स्पष्टीकरण या नोटिस तक आकर सिमट जाता है। कार्यवाही कुछ भी नही होती है।

लाफरवाही पर कार्यवाही कब

अब सवाल यह उठता है कि जब शासन द्वारा शालावार किताबें भिजवाने के लिए राशि प्रदान की जाती है तो फिर बीआरसी किताबो को जन शिक्षा केन्द्र से क्यों वितरित करवा रहे है। इसी प्रकार जब नया शिक्षण सत्र एक अप्रैल से प्रारंभ हो गया है तो फिर पाठ्य पुस्तकों का वितरण 11 अप्रैल से क्यों किया जा रहा है। किताबें एक अप्रैल के पूर्व ही क्यों नही शालाएं पहुंचाई गई। आखिर ग्यारह दिन विलम्ब से क्यों किताबो को शाला भिजवाया जा रहा है। इससे यह प्रतीत होता है कि शासन प्रशासन को देश के भविष्य बच्चों से कोई लेना देना नही रह गया है।

बीआरसी ने दिया गोल मोल जवाब

इस संबंध में बीआरसी कैमरे पर बाइट देने से बचते रहे और स्पष्ट जवाब न देते हुए गोल मोल जवाब देते रहे कि सब कुछ नियम से हो रहा है।


इनका कहना है

पाठ्य पुस्तक 5/4/25 को जन शिक्षा केन्द्र आरंभा बीआरसी के कहने पर पहुंची है। शॉर्टिंग करने के बाद हम लोग प्रधान पाठक को बुलवाकर किताबों का वितरण कर रहे है।

प्रकाश चित्रीव जन शिक्षक जन शिक्षा केन्द्र आरंभा।

बीआरसी द्वारा बताया गया कि समय कम है किताबों का वितरण शालावार नही हो पाएगा। जिसके बाद हमारे द्वारा प्रधान पाठको से निवेदन किया गया है कि वह स्वयं की व्यवस्था से जन शिक्षा केन्द्र पहुंच कर किताबें लेकर जाए। परिवहन के लिए राशि आती है या नही यह बीआरसी ही बता सकते है।

एन.के.जैतवार जनशिक्षक जन शिक्षा केन्द्र आरंभा

जनशिक्षक द्वारा ग्रुप में मैसेज डाला गया था कि किताबें लेने आरंभा आना है। जिसके बाद हम लोग स्वयं के व्यय पर जन शिक्षा केन्द्र किताबें लेने पहुंचे हैं।

अनिल आड़े प्रधान पाठक एकीकृत माध्यमिक विद्यालय घोटी।

किताबें लेने जन शिक्षा केन्द्र आरंभा पहुंचे हैं। प्रतिवर्ष किताबें यही से लेकर जाते है। अभी प्रथम बार की किताबें लेकर जा रहे है। किस विषय की कितनी कितनी किताबें मिल रही है अभी यह निश्चित नही है।

शिवशंकर पटले प्रभारी प्रधान पाठक शासकीय प्राथमिक शाला नोनसा

यह गलत है मै बीआरसी को बोलता हू। किताबें शालावार भेजी जानी चाहिए।
घनश्याम प्रसाद बर्मन डीपीसी बालाघाट।

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