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हजारीबाग बरही बरकट्ठा और चलकुशा में बाबासाहेब का विचार जन जन तक पहुंचाना है - विधायक जी

भारतीय संविधान निर्माता , राजनितज्ञ दार्शनिकों , अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति के महान भगवान बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान और महान त्याग के लिए यह समाज और देश दोनों त्रृणी रहेगा । भारतीय राजनितिक एवं समाज कल्याण जनता जनार्दन सेवा हमेशा तत्पर रहने वाले हजारीबाग पुर्व विधायक श्री मनीष जयसवाल ,बरही विधायक श्री मनोज यादव, बरकटठा चलकुशा विधायक श्री अमीत कुमार यादव ने बाबासाहेब की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा की मुसीबतें हमें कमजोर नहीं बल्कि निखारती है जातिवाद उंच निच की अछुत पंरपरा को छोड़कर मानवता का पाठ सिखाया है मनुष्य में समानता दिया , बल्कि
हक अधिकार का छिना भी ।
एक ऐसा बच्चा स्कूल में बैठने को जगह न पाए,
पानी पीने को लोटा छीन लिया जाए,
तो वो क्या करता है?
अक्सर वो बच्चा टूट जाता है...
लेकिन कुछ बच्चे होते हैं,
जो टूटने के बजाय इतिहास बनाते हैं।
ऐसे ही थे – बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर।
एक ऐसा नाम,
जिसने समाज की जंजीरों को तोड़ने का साहस किया।
एक ऐसा बेटा, जिसने माँ से सिर्फ पढ़ाई के लिए भूखा सोने की इजाज़त माँगी थी।
उन्होंने कहा —
"मुझसे मेरी जात मत पूछो, मेरा ज्ञान पूछो।
मेरे कपड़े मत देखो, मेरी सोच देखो।"
अंग्रेज़ों से नहीं, उन्होंने अपनों से लड़ा —
उन रूढ़ियों से, उन भेदभावों से,
जिन्होंने इंसान को इंसान से अलग किया।
जिस संविधान को हम आज गर्व से पढ़ते हैं,
उसके हर अक्षर में बाबा साहेब की पीड़ा और परिश्रम छुपा है।
उन्होंने जब कलम उठाई थी,
तो वो सिर्फ कानून नहीं लिख रहे थे,
वो एक ऐसा भारत रच रहे थे —
जहाँ कोई भी बच्चा, जात या गरीबी के कारण पीछे न रह जाए।
उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया, क्योंकि वो एक धर्म नहीं,
एक विचार था — जो कहता है,
"सब बराबर हैं।"
आज जब हम उन्हें याद करते हैं,
तो ज़रूरत है उनके बताए रास्तों पर चलने की,
ना कि सिर्फ फूल चढ़ाने की।

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