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बीएड ब्रिज कोर्स कर चुके अभ्यर्थी बाहर,नियुक्त बीएड शिक्षकों को ब्रिज करवाना है,जब ब्रिज कोर्स अभ्यर्थी हैं हर राज्य में तो उनको नियुक्त क्यों नहीं कर रही सरकारें?

उत्तराखंड एक राज्य इसी लिए मांगना या बनाना पडा कि उत्तर प्रदेश में रहके पहाडी राज्य के बेरोजगार के साथ अनदेखी हो रही थी.राज्य बन्ने के बाद भी बेरोजगारी का ग्राफ बढता गया. केवल सीएम बनाने का राज्य बन कर रह गया उत्तराखंड.
हर विभाग की तरह शिक्षा विभाग ऐसा है यहां पर स्कूल खाली हैं पर टीचर नहीं हैं.यहां पर प्राथमिक विद्यालयों में बीएड कर चुके लोगों को ब्रिज कोर्स करवाकर पक्का करने की योजना है.पर सरकार उन लोगों के बारे में नही सोच रही जो पहले से ब्रिज कोर्स कर चुके हैं. ये उत्तराखंड का ही नहीं पूरे देश का मामला है nios से 2017 से2019 के बीच जिन लोगों ने ब्रिज कोर्स किया उनको नौकरी देने के बजाय अन्य बीएड वालों को नियुक्त किया. बीएड कर चुके लोगों की नौकरी बचाने के लिए अब ब्रिज कोर्स कराने की बात आ रही है.बेरोजगार संगठन चाहता है केन्द्र सरकार व राज्य सरकार से अगर जिसने बीएड के साथ ब्रिज कोर्स किया है वो डीएलएड के बराबर है तो उन लोगों को पहले नौकरी दी उसके बाद जो बीएड किये अभ्यर्थी हैं उनको नौकरी देकर ब्रिज कोर्स करवायें.

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