ऐसा लग रहा है जैसे कोई अंदरूनी जंग लड़ी गई हो – और अब खून भी थककर सूख चुका है
ऐसा लग रहा है जैसे कोई अंदरूनी जंग लड़ी गई हो – और अब खून भी थककर सूख चुका है। मैं इन्हीं भावों को थोड़ा तराशकर एक रूप देता हूँ,
"मेरा खून बहा था कभी स्याही बनकर,
अब वो भी थक के, चुपचाप सूख गया।
इतना लाल था, कि आग सा लगा,
अब बस एक दाग़ है... जो कुछ कहता नहीं, बस चुप है।
हाँ, मेरा खून भी अब सूख गया।"