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गरीब पिता की बेटी की शादी में बना गाँव गवाह, प्रेम जोति फाउन्डेशन ने बढ़ाया मदद का हाथ

बैतूल| संदीप पन्द्राम

"बेटियों के हाथ पीले करना हर बाप का सपना होता है, लेकिन जब जेब खाली हो तो ये सपना बोझ बन जाता है।" कुछ ऐसे ही हालातों से जूझ रहे थे, ब्रजलाल कुमरे जो नागझिरी में मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते हैं। लेकिन कहते हैं ना, जब इंसान की मदद को इंसान ही आगे आए, तो मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं।

18 अप्रैल 2025 को उनके घर में खुशियों की बारात आई, और इसके पीछे था प्रेम जोति फाउन्डेशन और समाजसेवियों का नेक कदम।
प्रेम जोति फाउन्डेशन की ओर से ₹ 15000 की आर्थिक सहायता दी गई, साथ ही संस्था ने पांच बर्तन भी मुहैया कराया।

इस मौके पर प्रेम जोति फाउन्डेशन के संस्थापक राजेश दहीकर ने कहा, “हमारा प्रयास है कि किसी भी बेटी की शादी केवल पैसों की कमी के कारण अधूरी न रहे। प्रेम जोति फाउन्डेशन समाज के हर तबके के साथ खड़ा है।” जिसमें उपाध्यक्ष गम्फु चिल्हाटे, जयस ब्लाक मिडिया प्रभारी संदीप पन्द्राम (पन्द्राम आनलाईन सेन्टर आठनेर) भरत मर्सकोले, विजय आहके और ग्रामवासी मौजूद रहें।

गाँव वालों ने भी शादी में भरपूर सहयोग किया। सजावट में हाथ बंटाया। पूरे गाँव ने बेटी को अपनी बेटी समझकर विदा किया।

तरूणा कुमरे ने नम आँखों से कहा, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि इतने लोग मेरे लिए आगे आएँगे। आज मुझे प्रेम जोति फाउन्डेशन पर गर्व है।”

जहाँ एक ओर समाज में आर्थिक विषमता की खाई गहरी होती जा रही है, वहीं ऐसे कदम इस बात की गवाही देते हैं कि इंसानियत आज भी जिंदा है।

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