
पुलिस की लापरवाही से हुई हत्या
बहराइच, 20अप्रेल2025। बीते शुक्रवार बहराइच जिले में देहात कोतवाली अंतर्गत चित्तौरा में लगने वाले अवैध बाजार में दो पक्षों के बीच मारपीट की घटना सामने आई। अचानक से शुक्रवार की शाम की चित्तौरा बाजार में दो पक्षों के बीच हुई की मारपीट से पूरे बाजार में अफरातफरी मच गईl बाजार में ग्राम पंचायत खलीलपुर में रहने वाली एक युवती से इसी गांव के रहने वाले मंतरी, सन्तरी, भोला और सनूप पुत्र दुल्ली एक युवती से मारपीट करने लगए। मारपीट की घटना को बाजार में आए लोगों ने बीच बचाव करके बड़ी घटना में तब्दील होने से बचा लिया इसके बाद चारों भाइयों ने मिलकर खलीलपुर गांव में युवती के पति दिलीप को धारदार हथियार से मौत के घाट उतार दिया और उसके पुत्र को घायल कर अधमरी अवस्था में छोड़ दिया चौंकाने वाली बात यह है कि लगने वाले बाजार से कुछ ही दूरी पर चित्तौरा पुलिस चौकी स्थित है सूत्रों ने बताया कि घटना स्थल पर एक भी पुलिसकर्मी उपस्थित नहीं था।इसके पूर्व में होने वाले घटनाओं से पुलिस को अवगत कराया जाता रहा है। जिले के चित्तौरा पुलिस चौकी अंतर्गत लगने वाले बाजार में प्रत्येक शुक्रवार को बेखौफ बदमाश दर्जनों चोरियों को अंजाम देते रहे हैं इसकी जानकारी बाजार संचालक को रहती थी बावजूद इसके संचालक ने न ही पुलिस मदद ली और ना ही जानकारी दी। सुस्त चित्तौरा पुलिस की लापरवाही और गैरज़िम्मेदार बाजार संचालक की खबर हमारी टीम में प्रमुखता से प्रकाशित किया बावजूद इसके पुलिस विभाग के कानों पर जूँ तक न रेंगी और शातिर अपराधियों का हौसला इस कद्र सातवें आसमान पर जा पहुंचा कि बाजार में हाथापाई की नौबत आ गई। सुस्त चित्तौरा पुलिस की लापरवाही और बाजार संचालक की गैरजिम्मेदारी की कीमत दिलीप को अपनी जान से हाथ धो कर चुकाना पड़ा प्रत्येक सप्ताह बाजार में होने वाली अपराधी घटनाओं का संज्ञान पुलिस ने प्रमुखता से लिया होता तो बाजार में हुई दो पक्षों के बीच मारपीट को रोका जा सकता था और हत्या जैसे जघन्य अपराध को रोका जा सकता था। लगातार खबर प्रकाशित होने से बावजूद भी पुलिस द्वारा अपराधिक घटनाओं पर अंकुश ना लगाना अपराधियों के मनोबल को बढ़ावा देता रहा। घटनाओं पर अंकुश लगाना तो दूर पुलिस शिकायत पंजीकृत करना भी मुनासिब नहीं समझती थी। पीड़ितों से पता चलाकी बहुत सिफारिश और दबाव के बाद शिकायत पंजीकृत करके खाना पूर्ति कर दी जाती है इसका सबूत चोरियों का खुलासा न होना और चोरी का सामान बरामद न होना है। नतीजा भरे बाजार मारपीट और उसके बाद गांव के बीचोबीच हत्या।