
1965 के युद्ध वीर का निधन, शहीद समझ लिया था, घुस गए थे पाकिस्तान में
बालेसर। भारत पाक के दो प्रमुख युद्धों 1965 तथा 1971 के वीर योद्धा जिन्होंने राष्ट्र के लिए लड़ते हुए देश को विजयश्री दिलाई थी , उन नामों में शामिल जोधपुर जिले के बालेसर के नजदीक कवियों की बिराई गांव के 93 वर्षीय छोगदान रावल आज हमारे बीच नहीं रहे ।
प्रकाश मानावत ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत - पाक युद्ध 1965 तथा 1971 में दुश्मन देश पाकिस्तान ने धोखे से भारत पर अचानक हमला कर दिया था लेकिन भारतीय सेना ने भी तत्परता से मुकाबला करते हुए दुश्मन देश को न सिर्फ हरा दिया था बल्कि 1971 के युद्ध में करीब एक लाख सैनिकों को बंदी बना दिया था । इन दोनों युद्धों में जोधपुर के बालेसर - शेरगढ़ के वीर सैनिक योद्धाओं ने वीरतापूर्वक मुकाबला करते हुए देश को जीत दिलाई थी और दुश्मन देश को घुटनों पर खड़ा कर दिया था । बालेसर के पास कवियों की बिराई में जन्मे छोगदान रावल भी इन्हीं दोनों युद्धों में देश के लिए वीरतापूर्ण लड़े थे , 1971 के युद्ध में तो एक बार तो सेना ने इनके शहीद होने की पुष्टि तक कर दी थी लेकिन फिर जानकारी मिली की छोगदान रावल तो वीरतापूर्ण युद्ध लड़ते लड़ते पाकिस्तान के अंदर घुस गए हैं । सेना द्वारा दिए गए मेडल आज भी इनके घर पर इनकी वीरता की गाथा गाते शोभायमान हो रहे है । छोगदान रावल के परिवार में तीन भाई भी भारतीय सेना में सेवा दे चुके है जिनमें भाई सुखदान तथा श्रीदान भी सेना में सेवाएं दे चुके है , दो भाई बद्रीदान तथा प्रेमदान राजस्थान पुलिस में थे यानी पूरा परिवार राष्ट्र को समर्पित था । आज 93 साल की उम्र में वीर योद्धा छोगदान रावल हमेशा के लिए अलविदा कह गए , मुखाग्नि तीनों पुत्रों श्यामदान , चिमनदान, ब्रजलालदान तथा पौत्र भेरूसिंह ने दी । इनके परिवार में अब तीन पुत्र तथा चार बेटियां सहित भरा पूरा परिवार है । आजपास के गांवों में भी छोगदान के देवलोक की सूचना पर शोक की लहर दौड़ गई । उमरदान, माधोसिंह , फतेहदान , भंवरदान , जबरदान , गिरधारीदान , खेतदान , महेंद्रसिंह सहित परिजनों तथा सामाजिक बंधुओं ने श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी