
विद्या मन्दिर मे प्रथम स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी वीर कुंवर सिंह की जयंती मनाई गई।
गढ़वा/श्री बंशीधर नगर, दिनांक 23.04.2025 स्थानीय सरस्वती विद्या मंदिर, बंशीधर नगर मे बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती का शुभारंभ विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार पांडे और आचार्य सुधीर प्रसाद श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन कर किया। इस अवसर पर विद्यालय के भैया अर्णव पांडे, उत्कर्ष पांडे, अंशु जायसवाल बहन अंजलि कुमारी, पल्लवी देव, आरवी और नीदा फातिमा ने वीर कुंवर सिंह के जीवनी पर प्रकाश डाला। भैया बहनो के बीच चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित कि गई। इस अवसर पर आचार्य सुधीर प्रसाद श्रीवास्तव ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि *मस्ती की थी छीड़ी रागनी आज़ादी का गाना था सब कहते थे कुंवर सिंह वीर बड़ा मर्दाना था। 80 वर्षों की हड्डी में जागा जोश पुराना था।23 अप्रैल, 1777 को बिहार राज्य के भोजपुर जिले में वीर कुँवर सिंह का जन्म हुआ। कुँवर सिंह का जन्म एक राजपूत जमींदारी परिवार में हुआ था। उनके पिता राजा शाहबजादा सिंह जगदीशपुर के जमींदार और योद्धा थे जो अपनी वीरता और साहस के लिए निकले थे। राजा शाहबजादा सिंह के 4 पुत्र थे। उन पुत्रों में सबसे छोटे वीर कुँवर सिंह थे। योद्धा परिवार में जन्म के कारण कुँवर सिंह को भी कम उम्र से ही घुड़सवारी, तलवारबाज़ी और तीरंदाजी सहित युद्ध के विभिन्न विवरणों का प्रशिक्षण दिया गया। इन सबके अलावा वीर कुँवर सिंह की कविता और संगीत में गहरी रुचि थी, जिसे उन्होंने जीवन भर जारी रखा।बाबू वीर कुँवर सिंह, जो 80 साल की उम्र में भी भारत की सबसे बड़ी हस्तियों में से एक थे, जिन्होंने अंग्रेजो से लड़ाई की और जीत भी हासिल की। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी सिंह कुँवर ने 1857 में जगदीशपुर गाँव पर कब्जे से आज़ाद करवा कर वहाँ राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इस अवसर पर आचार्य सुजीत कुमार, नीरज सिंह, अविनाश कुमार, अशोक कुमार, सत्येन्द्र प्रजापती, हिमांशु झा, रुपेश कुमार, उमेश कुमार, विक्रम प्रसाद, प्रदीप कुमार गुप्ता, आरती श्रीवास्तव, नीति कुमारी, प्रियंवदा, तन्वी जोशी, रेनू पाठक, सलोनी कुमारी, नेहा कुमारी, खुशबू सिंघल उपस्थित रहे।