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Moral policing in NER

क्या असम में अब कानून व्यवस्था का पालन एवं सजा असम पुलिस के जगह संगठनों के द्वारा ही निर्धारित किया जायेगा?देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, एवं मुख्यमंत्री महोदय की चुप्पी और अनदेखी क्यों?
भाषा के नाम पर, जाति के नाम पर,छेत्रवाद के नाम पर,निकृष्ट एवं तुच्छ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए आखिर कब तक असम में रहने वाले मारवाड़ियों,बिहारियों, उत्तर प्रदेश वासियों, एवं तमाम हिंदीभाषियों और बंगालियों को होना पड़ेगा सरेआम बीच बाजार में अपमानित एवं प्रताड़ित? वीर लाचित सेना जैसे चंद तालिबानियों से शांति,सौहार्दपूर्ण तरीके से जीने वाले समाज को इन समुदायों को बचाने में क्यों नाकाम है सरकार और प्रशासन?
कब लगेगी इनकी गुंडागर्दी पर लगाम?राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच आपसी, प्रेम, भाईचारे और सोहार्द को नष्ट कर असम का नाम देश के अंदर और बाहर खराब करने में लगे हुए हैं ये लोग।
यदि किसी ने गलत किया है तो अवश्य कानूनी कार्यवाही किया जाए इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकता है आप पुलिस में शिकायत कीजिए न सख्त से सख्त सजा दिलाने में भागीदारी निभाए न भाई ऐसे करके आप सम्पूर्ण समाज को बदनाम कर रहे हैं एक बार गम्भीरता से विचार कीजिए भाई।
मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा जी के बाहरी निवेश के जरिये विकसित असम बनाने की राह के ये रोड़े कब और कैसे हटेंगे। ये मुख्यमंत्री और पुलिस प्रशासन को तय करना होगा।
वहीँ इनकी शक्ति और न्याय व्यवस्था अन्य समाज पर क्यों भीगी बिल्ली की तरह हो जाता है?हाल ही में बिहू मंच पर बिहू नृत्य करते हुए सरेआम बहन बेटियों को मंच पर चढ़कर फूल दिया.....वहीँ बिहू नृत्य कुर्ता पायजामा और टोपी पहनकर प्रदर्शन किया..... तिनसुकिया में जिस पुखरी पर छठ पूजा अर्चना करने के लिए भारी विरोध किया गया लेकिन उसी पुखरी में मज़ार देखा गया तब चुप.....
देश के अन्य राज्यों में होने वाले इस प्रकार के खबरों को राष्ट्रीय न्यूज चैनलों पर प्रमुखता से दिखाया जाता है लेकिन नॉर्थईस्ट राज्यों एवं असम में हो रहे प्रति दिन कही न कही कोई कान पकड़कर उठकबैठक, पैर पकड़कर माफी मांगते एवं मार खाते देखे जा रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय न्यूज चैनलों का लाईट कैमरा सब गायब?राजनीतिक दल देखकर भी चुप क्योंकि वोटबैंक एवं तुष्टिकरण के कारण चुप?
बुद्धिजीवी वर्ग मौन?वहीं जब देश के अन्य राज्यों में कोई एकाध घटना सामने आता है तो राष्ट्रीय न्यूज चैनलों सहित यहाँ के आम लोग के साथ साथ सभी राजनीतिक दल भी तिल का ताड़ बनाकर पहाड़ सर पर उठा लिया जाता है?भाई ऐसे ही सबकी भावना और सम्मान होता है.....

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