
प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला-खरसावां के कोषाध्यक्ष संजीव कुमार मेहता की तबीयत में तेजी से सुधार, प्रेस क्लब के सहयोग से टला बड़ा संकट
सरायकेला-खरसावां: जिले के वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला-खरसावां के कोषाध्यक्ष संजीव कुमार मेहता की तबीयत में तेजी से सुधार हो रहा है। दो दिन तक अचेत रहने के बाद उनकी चेतना लौट आई है, जिससे परिजनों और पत्रकार साथियों ने राहत की सांस ली है। डॉक्टरों के अनुसार, वे जल्द ही अस्पताल से छुट्टी पा सकते हैं। गुरुवार को श्री मेहता ने अपने परिजनों और शुभचिंतकों से बातचीत की, और सामान्य दिखे, हालांकि अब भी थोड़ी कमजोरी महसूस कर रहे हैं।
पिछले मंगलवार को अचानक उनके घर में ही वे बेहोश हो गए थे। परिजन तुरंत उन्हें टीएमएच अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने ब्रेन हेमरेज की पुष्टि की। स्थिति बेहद गंभीर थी और डॉक्टरों ने बताया कि ऐसी स्थिति में रिकवरी की संभावना मात्र 10% होती है। तुरंत इलाज शुरू करने के लिए 90 हजार रुपये की आवश्यकता थी, लेकिन परिवार के पास यह राशि उपलब्ध नहीं थी क्योंकि वित्तीय मामलों का जिम्मा स्वयं श्री मेहता के पास ही था।
इस नाजुक घड़ी में प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला-खरसावां ने अनुकरणीय एकजुटता और संवेदनशीलता दिखाई। आपातकालीन बैठक बुलाई गई और तत्परता से क्राउड फंडिंग कर 50 हजार रुपये की राशि तत्काल अस्पताल में जमा कराई गई। क्लब के सदस्यों की इस तत्परता और समर्पण ने इलाज की राह आसान बना दी।
जैसे-जैसे समय बीता, टीएमएच के डॉक्टरों की मेहनत और प्रेस क्लब के पत्रकारों एवं शुभचिंतकों की प्रार्थनाएं रंग लाने लगीं। गुरुवार को सबसे बड़ी राहत की खबर आई — संजीव मेहता को होश आ गया और वे अब स्वस्थ होकर घर लौटने के लिए उत्सुक हैं। उनकी स्थिति में सुधार से पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है।
प्रेस क्लब अध्यक्ष की भावुक प्रतिक्रिया
प्रेस क्लब अध्यक्ष मनमोहन सिंह ने संजीव मेहता के स्वास्थ्य में सुधार की खबर पर ईश्वर, टीएमएच के डॉक्टरों और क्लब के समर्पित पत्रकारों के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा, “यह समय हमारे लिए गहरा सदमा था, लेकिन हमारे क्लब के साथियों ने इसे एक मिसाल में बदल दिया। संकट की इस घड़ी में जिस प्रकार सभी साथियों ने एकजुट होकर कार्य किया, वह किसी भी पत्रकार संगठन के लिए प्रेरणास्पद है। मुझे गर्व है कि मैं ऐसे संगठन का हिस्सा हूं।”
प्रेस क्लब की सराहना योग्य पहल
संजीव मेहता के संकट में प्रेस क्लब की त्वरित प्रतिक्रिया और मानवीयता की भावना काबिल-ए-तारीफ है। यह घटना पत्रकारिता समुदाय की आपसी एकता, सहयोग और जिम्मेदारी का ज्वलंत उदाहरण है। ऐसे समय में जब कई बार सामाजिक संस्थाएं निष्क्रिय नजर आती हैं, प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला-खरसावां ने दिखा दिया कि संवेदनशील नेतृत्व और समर्पित सदस्य मिलकर किसी भी संकट को मात दे सकते हैं।